51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के तहत शामिल करने पर हाईकोर्ट से राज्य सरकार को राहत ।
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के खिलाफ राज्य सभा सांसद सुब्रामण्यम स्वामी व अन्य ने जनहित याचिका दायर की थी जिस पर पर फैसला सुनाया गया है, कोर्ट ने पिछले छह जुलाई को मामलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
स्वामी ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि सरकार द्वारा लाया गया यह एक्ट असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 25,26 और 32 और जनभावनाओं के विरुद्ध है, जबकि सरकार की ओर से कहा गया था कि यह अधिनियम संवैधानिक है और सरकार को इसका अधिकार है।
इस मामले में रुलक संस्था ने भी सरकार के अधिनियम का समर्थन करते हुए स्वयं पक्षकार का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।
क्या है चारधाम देवस्थानम एक्ट
चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम का गठन किया गया है, बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे, इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे।
चारधाम देवस्थानम अधिनियम चारधाम और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है। मकसद ये है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें। साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करे।