चिनित राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया।
देहरादून : चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप केंद्रीय अध्यक्ष हरिकिशन भट्ट केंद्रीय संयोजक मनीष नागपाल मीडिया समिति के केंद्रीय अध्यक्ष नवीन जोशी के साझा नेतृत्व में राज्य निर्माण आंदोलन कारियों ने आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का पुतला जलाया और उन पर आरटीजीएस घोटाले में लिप्त होने के आरोपों पर नैनीताल हाई कोर्ट की टिप्पणी को देखते हुए उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की।
पुतला दहन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धीरेंद्र प्रताप ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हुए उनके विरुद्ध तत्काल एफ आई आर दर्ज किए जाने और उन्हें इस्तीफा दिए जाने की मांग की ।
आंदोलनकारियों ने इस मौके पर” अब तो यह स्पष्ट है मुख्यमंत्री भ्रष्ट है “,भ्रष्ट मुख्यमंत्री शिफा दो जैसे गगनभेदी नारे लगाए और पुतले पर आग लगा दी ।
इस मौके पर समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरिकिशन भट्ट ने मुख्यमंत्री को उत्तराखंड आंदोलनकारी के सपने पर खरा ना उतरने का आरोप लगाते हुए कहां की मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों के सारे सपने तोड़ दिये ।
समिति के मीडिया समिति के अध्यक्ष नवीन जोशी ने कहा कि अब भाजपा सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और मुख्यमंत्री के विरुद्ध जिस तरह से हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कोई शक नहीं है कि भाजपा अवैध डूबता हुआ जहाज बन गया है।
समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने ऐलान किया कि आंदोलनकारी आज के बाद चुप नहीं बैठेगी और 30 अक्टूबर को देहरादून के गांधी पार्क पर विशाल सत्याग्रह करेगे और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर राज्य भर के तमाम आंदोलनकारी सडको पर उतरेगे।
उन्होंने कहा कि पानी सर से ऊपर निकल चुका है और जो सरकार सर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी दिखाई दे रही है। उसका अंत आप कतई दूर नहीं है उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार को चंद दिनों की मेहमान सरकार जाता है और राज्यपाल से सरकार को तत्काल बर्खास्त किए जाने की भी मांग की।
इस मौके पर सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री पूर्व विधायक राजकुमार, आनंद रावत हरीश पनेरु ,राजेन्द्र शाह ,ताहिर अली महेश जोशी,कमलेश रमन,वीरेंद्र सिंह सूरत सिंह नेगी प्रदेश कांग्रेस महासचिव राजेंद्र शाह राजेश चमोली आदि ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन पर राज्य आंदोलनकारी विरोधी होने और राज्य को बेरोजगारी के गर्त में धकेलने का आरोप लगाया।