केंद्र सरकार हालात संभालने में सक्षम नहीं प्रधानमंत्री तत्काल दें इस्तीफा : चंद्रशेखर।
नई दिल्ली : कोराना जैसी महामारी से निपटने के लिए सरकार ने अब तक क्या-क्या किया और सरकार से कहां चूक हुई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 135 करोड़ भारतीयों को बताया डब्ल्यूएचओ समेत दुनिया में तमाम वैज्ञानिक देश में उत्पन्न होने वाले खतरे के लिए लगातार आगाह कर रहे थे, डब्ल्यूएचओ ने जनवरी में ही इस बीमारी के बारे में सचेत कर दिया था, 5 फरवरी को एडवाइजरी जारी करते हुए इससे महामारी घोषित कर दिया गया था, समय रहते ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि दुनिया के अमीर और विकसित देशों से हम अपनी तुलना नहीं कर सकते लेकिन 135 करोड़ भारतीयोंटी मेडिकल सुविधा व वर्तमान हालात में भूखमरी के खतरे से हम अच्छी तरह निपट सकते थे, समय रहते इसको राणा महामारी से निपटने की तैयारी क्यों नहीं की गई, उसी समय पुख्ता बंदोबस्त करने की जरूरत थी उस समय ट्रेंस की मेहमान नवाजी से 130 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे थे और मध्य प्रदेश में सरकार तोड़ने का षड्यंत्र रचा जा रहा था।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याणकारी योजना के अंतर्गत सरकार ने एक लाख 70 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है इस पैकेज से सरकार सिर्फ उन मजदूरों और कर्मचारियों तक पहुंच जाएगी जो संगठित क्षेत्र के है, जिनका रजिस्ट्रेशन है, और जिन लोगों के बैंक खाते खुल गए हैं उन लोगों के लिए भी पर्याप्त मदद नहीं है लगभग 35 करोड़ मजदूर रेडी पटरी दुकानदार रिक्शा ठेला चलाने वाले फुटपाथ पर रहने वाले जंगलों में रहने वाले आदिवासी व दूसरे अन्य गरीब जिनकी ना गरीबी की पहचान सरकार ने की और ना ही कोई मदद मिलती है, उनके पास ना कागज है ना बैंक खाता है उन्हें सरकार कैसे मदद पहुंचाएगी जो भूख से मरने के मुहाने पर खड़े है, सरकार उन्हें मदद पहुंचाने में नाकाम है।
पिछले 5 सालों में अडानी अंबानी और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के 5.5 लाख करोड़ के लोन माफ किए गए,सरकार ने इस कोराना महामारी से निपटने के लिए 135 भारतीयों को 1. 7 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया हम केंद्र सरकार से पूछते हैं के चंद्र पूंजीपति इस देश के करोड़ों गरीब जनता के जीवन से ज्यादा कीमती है।
इंतजाम किए बिना लॉक डाउन देश के गरीबों को खाई में धकेलने के बराबर है, देश में कोराना से संक्रमित होने से पहले भुखमरी का शिकार हो जाएंगे लोग जो देश की जनता के साथ विश्वासघात है, ट्रंप कि गुजरात में मेहमान नवाजी की जिम्मेदारी निभाने वाले कार्तिकेय सहारा भाई मेहुल सहरा डायग्नोस्टिक्स कंपनी के मालिक हैं जिनकोकोराना जांच करने वाली किट का ठेका दिया गया है जिसकी कीमत मात्र ₹500 है जिसको मार्केट में 4500 में बेचा जा रहा है, देश में इसी कंपनी के पास किट बनाने का लाइसेंस है जो 2 साल पहले स्टार्ट हुई थी सरकार ने बोला है सिर्फ यूएसएफडीए से एफ्रूड है,सरकार ने कहा कि सिर्फ यूएसएफडीए एप्रूव्ड कीट ही चलेगी,इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोराना जैसी महामारी के समय भी सरकार पूंजी पतियों को किस तरह से फायदा पहुंचाने में लगी हुई है।
सीएए/एनआरसी/एनपीआर जैसे देश को बांटने वाले मुद्दे को लेकर पूरे देश को उलझा रखा और खुद सरकार भी उलझी रही देश की जनता का जीवन तो दांव पर लगा दिया गया और इतने नाजुक समय में भारत को इतने बड़े संकट में लाकर खड़ा कर दिया, आजाद समाज पार्टी मांग करती है कि 48 घंटे के अंदर प्रधानमंत्री राहत पैकेज में 600000 करोड रुपए का इजाफा करें नहीं तो इस भुखमरी और कोराना से होने वाले नरसंहार की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ भाजपा सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होगी।