देहरादून : आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर नई कार्यकारिणी का गठन कर दिया है, जिसमें कई नए नेताओं को उनके कार्यों को देखते हुए तरजीह दी तो कई पुराने साथियों को पुनः मान मनोव्वल बरकरार रख उन्हें नई कार्यकारिणी में स्थान दिया।
दिल्ली में राजनीतिक कौशल का परिचय देने वाले केजरीवाल उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर नई पारी खेलने की जुगत में हैं, हालांकि पहाड़ से दिल्ली माॅडल का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया जा सकता मगर इतना जरुर है कि उससे प्रेरणा लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को उत्तराखंड में स्थापित तो किया ही जा सकता है।
आप के कार्यकर्ताओं के त्याग व तपस्या का ही प्रतिफल है कि आज उत्तराखंड में अपने छोटे से कार्यकाल में सत्ता धारी भाजपा के खिलाफ विपक्ष में न होते हुए भी लगातार आवाज उठाते हुए एक नई पहचान बनाई है। जबकि विपक्ष का धर्म जिस राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस ने उठाना था वह कहीं नजर नहीं आ रही है। आप आमजन के लिए विधानसभा में बगैर प्रतिनिधित्व किए भी विपक्ष की भूमिका में लगातार संघर्षरत है।
तकरीबन 8 वर्षों से पार्टी की विचारधारा से जुड़े समर्पित कार्यकर्ताओं ने जनसामान्य तक पहुंचने का काम किया है। नतीजतन 2022 विधानसभा चुनावों में पार्टी ने रणनीति के तहत योग्यता के पैमाने पर खरा उतरने वाले उम्मीदवारों से पारी खेलने का मन बनाया है। उत्तराखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार व संसाधनों की अनियोजित व अनियंत्रित लूट-खसोट के खिलाफ भी आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में मुख्य विपक्ष की भूमिका में लाकर खड़ा कर दिया है। हाल ही में भंग हुई प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम तैयार हुई है जो निम्न है।
उत्तराखंड में निरंतर बढ़ते परिवार को एक नई पहचान व नई धार देने के लिए पार्टी ने राज्य में वर्तमान संगठन (विधानसभा, जिला, प्रदेश सभी स्तर पर) खड़ा किया था जिसे पूर्णतः भंग कर (सिवाय प्रदेश अध्यक्ष पद व जोनल इंचार्ज) दिया था। उत्तराखण्ड राज्य में आम आदमी पार्टी के बढ़ते कुनबेे में संगठन में फिर से दायित्व बांट दिए गए हैं। जो कि निम्नवत हैै।
कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए संभवतः नए चेहरों को जगह दी है। पार्टी के प्रति समर्पण भाव, निष्ठा व कर्मठता से कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ताओं को सांगठनिक जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दी गई है , बशर्ते सभी अपने कार्यों को बिना पद की लालसा के धरातल पर अंजाम दे सके।
अब संगठन ने तो कार्य के अनुसार पद सुनिश्चित कर दिए हैं कि कौन धरातल पर कार्य कर रहा है या नहीं। मगर सवाल बरकरार है कि क्या वे लोग अब जब कार्यकारिणी में नए पदों का सृजन हो चुका हो और उन्हें जगह नहीं मिल पाई तो वे अब भी कार्य कर पाएंगे या पद न मिलने से अलग राह अख्तियार करेंगे।