अनिश्चितकालीन धरने को 300 दिन हुए, आखिरी सांस तक संघर्ष जारी….
देहरादून : 13 अप्रैल 2018 से अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में आज दिनांक 22 फरवरी 2019 (300वें दिन) को निष्कासित कर्मचारियों का धरना जारी कर्मचारियों का कहना है आज हमें 300 दिन हो गए हैं लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है
जब कोई भी आदेश/ शासनादेश, ना माननीय मुख्यमंत्री के स्तर से और ना सचिवालय स्तर से है कि किसी कर्मचारी को हटाना है तो जो लोग सालों से विभागों में कार्यरत थे। तो निदेशक ने कैसे सालों से कार्यरत कर्मचारियों को बिना किसी सूचना/बिना किसी नोटिस के निष्कासित कर दिया। सचिवालय से अपर सचिव राधा रतूड़ी एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव रविनाथ रमन ने 01 अगस्त 2018 को लिखित आदेश दिए कि निष्कासित कर्मचारियों को वापस लिया जाये। इसके बावजूद भी निदेशक, अपना तानाशाही व्यवहार अपनाए हुए है। निदेशक कहते हैं कि चाहे आप किसी से भी लिखवाकर ले आए, मैं नहीं करूंगा। सिर्फ इसलिए, क्योंकि हम कर्मचारियों ने निदेशक के घर में झाड़ू पोछा करने से मना कर दिया था। निदेशक महोदय लगातार, अपना तानाशाही व्यवहार अपनाए हुए हैं और लगातार शासन प्रशासन को झूठ बोलकर गुमराह करने का काम कर रहे हैं। क्योंकि, सरकार की मंशा किसी भी आदेश में यह प्रतीत नहीं होती है की सरकार किसी का रोजगार छीनना चाहती है। किसी भी आदेश या शासनादेश में नहीं लिखा है कि रोजगार पाए हुए, लोगों को रोजगार से हटाना है।
माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 31 जुलाई 2018 को एक बैठक में शासनादेश जारी हुआ कि जितनी भी छोटी-छोटी आउट सोर्स कंपनियां है, उन सब कंपनियों को उपनल और पीआरडी में समायोजित किया जाए। यानि कि जिन विभागों में छोटी छोटी कंपनियों से लोग रोजगार पाए हुए हैं, उन विभागों को सीधे उपनल और पीआरडी के माध्यम से लिया जाए। लेकिन किस तरीके से माननीय मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद धरातल पर काम नहीं हो रहा है।
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक महोदय एम पी एस बिष्ट जी ने हम कर्मचारियों को इसलिए निकाल दिया, क्योंकि हम उनके घर में झाड़ू पोछा नहीं करना चाहते थे। अगर निदेशक महोदय 01 अगस्त 2018 सचिव महोदय के आदेश का पालन करते, तो हमारा साथी देवेंद्र रावत अपना परिवार ना खोता।
अवगत कराना है कि देवेंद्र रावत की पत्नी ने 19 अगस्त 2018 को अपने दो अबोध बच्चों (एक 5 साल का और एक 3 साल) के साथ नदी में छलांग लगाकर, आत्महत्या कर ली। अगर निदेशक अपना तानाशाही रवैया छोड़ देते, तो उनका परिवार उजड़ने से बच जाता।
हम उम्मीद करते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री अपने स्तर से मामले का संज्ञान लेंगे। मामले की गहन जांच करवाएंगे और उचित कार्यवाही करेंगे। जिसके लिए हम और हमारा परिवार हमेशा माननीय मुख्यमंत्री जी का आभारी रहेगा।
13 अप्रैल से अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में आज दिनांक 22 फरवरी 2019 (300वें दिन) को निष्कासित कर्मचारियों के समर्थन में विभिन्न सामाजिक/कर्मचारी/श्रमिक/संगठनों से जुड़े लोग धरना स्थल पर पहुंचे। शीला रावत, जयंत शाह, देवेंद्र रावत, सोहन नेगी, अरुण, मोहन सिंह, संदीप भण्डारी के समर्थन में जयदीप सकलानी, Arif Khan , (National President)National Association For Parents And Students Rights , से View Of New Vision ( samity )से कविता खान , मनोज ध्यानी, राजेन्द्र सिंह नेगी, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, विजय सिंह रविंद्र प्रधान पूर्व पार्षद gairsain राजधानी अभियान से। जयकृत कंडवाल Uttarakhand people from, त्रिलोक सिंह नेगी विजय पावा आदि मौजूद रहे।
युसैक से हटाए कर्मचारियों की प्रमुख मांगे:
1. विभाग में 7 वर्षों से संविदा/आउट सोर्स पर नियुक्त महिला कर्मी शीला रावत का अवैध निष्कासन समाप्त कर ससम्मान विभाग में नियुक्ति की जाए।
२. दीपक भंडारी, मोहनदास, सोहन सिंह नेगी, देवेंद्र रावत अरुण, जयंत शाह जो आउटसोर्स पर गत 11 वर्षों से कार्यरत, कर्मियों का अवैध निष्कासन रद्द कर आउट सोर्स/स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए।
3. प्रतिनियुक्ति पर तैनात निदेशक पर महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट और महिला व 6 कार्मिकों के अवैध निष्कासन करने की निष्पक्ष जांच हो।
4. अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विभागीय सचिव रविनाथ रमन व मुख्यमंत्री महोदय के स्तर से निर्गत निर्देशों तथा शासनादेशों के अनुरूप अवैध निष्कासन रद्द कर, कर्मचारियों को नियुक्ति दी जाये। जिस प्रकार, अन्य विभागों में नियुक्तियां प्रदान की गई है।
निष्कासित कर्मचारी
1. शीला रावत (7 साल से)
2. जयंत शाह (5 साल से)
3. देवेंद्र रावत (6 साल से)
4. सोहन नेगी (9 साल से)
5. अरुण (11 साल से)
6. मोहन सिंह (8 साल से)
7. संदीप भंडारी (9 साल से) l