कब है गुरु प्रदोष व्रत और क्या है इसकी पूजा विधि

हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रक्खा जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है , और उनकी कृपा से तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. अलग अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग अलग होती है. बृहस्पतिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को “गुरु प्रदोष” कहते हैं. यह पौष मास का गुरु प्रदोष है, अतः इसका महत्व और भी ज्यादा है. इस बार गुरु प्रदोष 03 जनवरी को आ रहा है.

क्या है गुरु प्रदोष व्रत की महिमा?

-गुरु प्रदोष व्रत रखने से मनचाही इच्छा पूरी होती है.

– इसके अलावा संतान सम्बन्धी किसी भी मनोकामना की पूर्ति इस दिन की जा सकती है.

– गुरु प्रदोष व्रत रखने से शत्रु और विरोधी शांत होते हैं , मुकदमों और विवादों में विजय मिलती है.

गुरु प्रदोष की व्रत और पूजा विधि क्या है?

– इस दिन प्रातः काल स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण करें .

– इसके बाद शिव जी को जल और बेल पत्र अर्पित करें .

– उनको सफ़ेद वस्तु का भोग लगायें.

– शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें .

– रात्रि के समय भी शिव जी के समक्ष घी का दीपक जलाकर शिव मंत्र जप करें.

– रात्रि के समय आठ दिशाओं में आठ दीपक जलाएँ

– इस दिन जलाहार और फलाहार ग्रहण करना उत्तम होगा .

– नमक और अनाज का सेवन न करें

शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए इस दिन क्या उपाय करें?

– प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करें

– शिव जी को पीले फूल अर्पित करें

– “ॐ नमो भगवते रुद्राय” मंत्र का 11 माला जप करें

– शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें.

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