सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को दी राहत , जमानत की शर्तों में दी गई ढील

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को आप नेता मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को राहत दी है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मनीष सिसादिया ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट डाली, जिसमें कोर्ट का आभार जताया है। 

सिसोदिया ने लिखा माननीय सुप्रीम कोर्ट का हृदय से आभार, जिसने जमानत की शर्त को हटाकर राहत प्रदान की है। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका में मेरी आस्था को और मजबूत करता है, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों की शक्ति को भी दर्शाता है। मैं हमेशा न्यायपालिका और संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों का सम्मान करता रहूंगा।

आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की याचिका पर आज यानी 11 दिसंबर को सुनवाई हुई। सिसोदिया ने जमानत की शर्तों में ढील देने की मांग की थी। 

दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत की शर्तों के तहत सिसोदिया को सप्ताह में दो बार जांच अधिकारी के सामने पेश होना पड़ता है। 

सिसोदिया को दी गई थी जमानत

सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। पीठ ने 11 दिसंबर को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में सिसोदिया को जमानत दी थी।

 

सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करेगी पीठ

सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित कॉजलिस्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ आज यानी 11 दिसंबर को सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करेगी। इससे पहले सोमवार को पीठ में न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा उल्लेख किए जाने के बाद सिसोदिया द्वारा प्रस्तुत याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। 

याचिका पर तत्काल की थी सुनवाई की मांग

सिंघवी ने सिसोदिया की याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने जमानत की शर्त में ढील देने की मांग की थी, जिसके तहत उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होता है। इस साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ आप नेता को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि कथित आबकारी नीति मामले में मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की उम्मीद में उन्हें असीमित समय तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता। 

सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था। “मौजूदा मामले में, ईडी के साथ-साथ सीबीआई मामले में, 493 गवाहों के नाम हैं और मामले में हजारों पन्नों के दस्तावेज और एक लाख से अधिक पन्नों के डिजिटाइज्ड दस्तावेज शामिल हैं।” 

“इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। हमारे विचार में, मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की उम्मीद में अपीलकर्ता को असीमित समय तक सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं है। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से वंचित किया जाएगा।”

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