राज्य सरकार प्राचीन संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण हेतु निरंतर प्रयासरत : सीएम धामी
हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार में आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के समापन समारोह में अपने विचार रखते हुए भारतीय शास्त्रों की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ या पुरानी किताबें मात्र नहीं हैं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के रहस्यों को जानने, समझने और मानव कल्याण के लिए मार्गदर्शन देने का एक विशिष्ट और वैज्ञानिक माध्यम हैं।
वेद, उपनिषद, पुराण : सृष्टि के रहस्य और विज्ञान का गहन भंडार
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय वेद, उपनिषद, पुराण आदि में मानव जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पक्षों के बीच अद्भुत संतुलन स्थापित करने वाले सूत्र छिपे हुए हैं। योग, प्राणायाम, ध्यान जैसी विधियाँ न केवल शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखती हैं, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि में भी सहायक हैं।
वहीं दूसरी ओर अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, खगोलशास्त्र, चिकित्सा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी शास्त्रों में जो रहस्य वर्णित हैं, वे आधुनिक विज्ञान को भी चुनौती देते हैं। भारतीय गणितज्ञों द्वारा शून्य और दशमलव की खोज इस बात का प्रमाण है कि हमारे शास्त्रों की वैज्ञानिक दृष्टि कितनी उन्नत थी। आज जिस विज्ञान और तकनीक पर दुनिया गर्व कर रही है, उसकी नींव कहीं न कहीं भारतीय ज्ञान परंपरा से प्रेरित है।
युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रों से जोड़ने का आह्वान
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत और समृद्ध शास्त्र परंपरा से परिचित कराना आवश्यक है। उन्होंने सभी विद्वानजनों से अनुरोध किया कि वे विचार करें कि कैसे वेद, उपनिषद जैसे गूढ़ ग्रंथों को सरल और व्यावहारिक भाषा में समझाकर युवा वर्ग तक पहुँचाया जा सके।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राज्य सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में प्राचीन संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने हेतु निरंतर प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान
मुख्यमंत्री ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की प्राचीन संस्कृति, योग, आयुर्वेद और भारतीय दर्शन को वैश्विक मंच पर पुनः सम्मान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के “वसुधैव कुटुंबकम्” के संदेश के अनुरूप भारत विश्व में आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित हो रहा है।
राज्य सरकार भी इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए शास्त्रों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए योजनाबद्ध रूप से कार्य कर रही है।
शास्त्रोत्सव में विद्वानों और विद्यार्थियों का योगदान सराहनीय
मुख्यमंत्री ने 25 राज्यों और नेपाल से आए विद्वानजनों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि उनका उत्तराखंड आगमन राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने शास्त्रोत्सव में आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लेने वाले छात्रों को बधाई दी और उन्हें हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा के वाहक बताया।
मुख्यमंत्री ने “वेद, दर्शन और उपनिषदों का सार” पुस्तक का विमोचन भी किया, जो आने वाली पीढ़ी को भारतीय शास्त्रों की ओर आकर्षित करने में सहायक सिद्ध होगी।
पतंजलि विश्वविद्यालय और विद्वानों का आभार व्यक्त
मुख्यमंत्री ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि विश्वविद्यालय परिवार का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पतंजलि परिवार ने भारतीय संस्कृति, योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में जो कार्य किया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
उन्होंने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, पतंजलि विश्वविद्यालय, आयोजन समिति और सभी विद्वानों को शास्त्रोत्सव के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
समारोह में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
इस समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण, योग गुरु बाबा रामदेव, विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, महापौर अनीता अग्रवाल, जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किए।