मौसम विज्ञान ने उत्‍तराखंड के चार जिलों देहरादून नैनीताल चम्पावत और पौड़ी के लिए आज यलो अलर्ट जारी किया

मौसम विज्ञान ने उत्‍तराखंड के चार जिलों देहरादून नैनीताल चम्पावत और पौड़ी के लिए आज यलो अलर्ट जारी किया

 देहरादून उत्तराखंड में रविवार को मौसम ने राहत दी। पहाड़ से लेकर मैदान तक धूप खिली रही। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में फिलहाल बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। सोमवार के लिए देहरादून, नैनीताल, चम्पावत और पौड़ी जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार इन जिलों में भारी बारिश की आशंका है।

रविवार को मसूरी के पास स्थिति प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कैम्पटी फाल में एक हजार से अधिक सैलानी पहुंचे। शनिवार को झरने में उफान आने के बाद एहतियात के तौर पर यहां पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। टिहरी की जिलाधिकारी ईवा श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार रात को ही झरने का बहाव सामान्य हो गया था। इसीलिए पर्यटकों को अनुमति दे दी गई। हालांकि वहां सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में पिछले दिनों की बारिश से बंद टनकपुर-तवाघाट हाईवे तवाघाट तक खुल गया है। वहीं सात दिनों से बंद जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग पर भी यातायात बहाल कर दिया गया है। मार्ग खुलने से मुनस्यारी सहित आसपास के गांवों को राहत मिली है।

चट्टान टूटने से मनरेगा में मजदूरी कर रही महिला की मौत, एक घायल

पोखरी में मनरेगा से पैदल रास्ता निर्माण के दौरान चट्टान से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से मजदूरी कर रही एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक महिला गंभीर घायल है। घायल को श्रीनगर रेफर किया गया है। ग्रामसभा बीणा मल्ला में रोजगार गारंटी योजना के तहत काम चल रहा था। इस बीच काम करते हुए दो महिलाओं पर चट्टान से पत्थर गिर गए ।

बताया गया कि पत्थर से चोटिल 30 वर्षीय रोशनी देवी बर्त्‍वाल पत्नी कपिल बर्त्‍वाल की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। जबकि, 44 वर्षीय सुनीता देवी बुरी तरह घायल हो गई। ग्रामीणों ने 108 की मदद से घायल को उपचार के लिए सीएचसी पोखरी लाया गया। जहां चिकित्सक डा. सलमान खान ने घायल महिला का प्राथमिक उपचार कर उसे श्रीनगर रेफर किया है। सूचना मिलते ही राजस्व पुलिस के नायब तहसीलदार हिम्मत सिंह रौतेला व राजस्व उपनिरीक्षक विजय कुमार ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव का पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। बताया गया कि रास्ता निर्माण के दौरान अन्य मजदूर भी कार्य कर रहे थे। पत्थर गिरने के दौरान उन्होंने भाग कर जान बचाई।

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