पुल‍िस ने तीनों आरोपितों के पास से 11 मोबाइल और कार बरामद की है। डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि 22 जनवरी को रायबरेली रोड डीएलएफ गार्डन निवासी एडीसीपी धनजंय सिंह कुशवाहा की पत्नी रेनुका सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि आइसीआइसीआइ बैंक अकाउंट से रकम कट गई।
पीड़िता ने साइबर सेल में भी शिकायत की थी। उन्होंने एक मोबाइल नंबर दिया, जिस पर बैंक का ओटीपी ट्रांसफर हुआ था। रेनुका की शिकायत पर साइबर क्राइम सेल ने डिटेल खंगालना शुरू किया। बैंक और मोबाइल कंपनियों से ठगी के तार झारखंड से जुड़े होने की जानकारी मिली। एक टीम को झारखंड भेजा गया।
साइबर सेल और वजीरगंज पुलिस ने देवघर मार्गोमुण्डा से रियाज आलम, उल्फत अंसारी और नियाज अंसारी को गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से करीब 11 मोबाइल फोन और एक कार बरामद किया। पूछताछ में पता चला कि रियाज और उसके साथी दसवीं फेल हैं।
झारखंड के जामताड़ा में आरोपितों ने ठगी का तरीका सीखा। जिसका इस्तेमाल कर एपीके फाइल वाट्सएप के जरिए भेजने लगे। करीब पांच वर्ष से रियाज और उसके गिरोह के सदस्य धोखाधड़ी कर रहे हें। देश के कई राज्यों में आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है।

इंस्पेक्टर दिनेश मिश्रा ने बताया कि‍ आरोपित एपीके फाइल के जरिए आरोपित बैंक खाते की यूपीआई आईडी, नेट बैंकिंग डिटेल और ओटीपी हासिल कर लेते हैं। इसके बाद आधार कार्ड, एम आधार एप और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से डाउनलोड कर लेते थे।

कुछ बैंकों (जैसे कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, उज्जीवन बैंक, फिनकेयर बैंक, बंधन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक) में आधार नंबर के माध्यम से यूपीआइ और नेट बैंकिंग लॉगिन संभव होता है। इस सुविधा का फायदा उठाकर जालसाज बैंक खाते में सेंध लगा लेते थे। वहां से पैसे अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। ठगी के बाद, अपराधी तुरंत पास के एटीएम से पैसे निकाल लेते थे और रकम आपस में बांट लेते थे।