करन माहरा ने कहा- बनभूलपुरा की घटना में प्रदेश सरकार का बिलकुल नकारात्मक रवैया रहा

करन माहरा ने कहा- बनभूलपुरा की घटना में प्रदेश सरकार का बिलकुल नकारात्मक रवैया रहा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड के दो महत्वपूर्ण बनभूलपुरा और जोशीमठ की घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। दोनों ही घटनाओं में राज्य की धामी सरकार ने अनिच्छा का परिचय दिया है।

शुक्रवार को कांग्रेस भवन में पत्रकार वार्ता को संदेश देते हुए कहा कि जोशीमठ में वर्ष 1976 से ही कहा जा रहा है कि वह कमजोर पहाड़ी भूभाग में स्थापित है, जो वर्तमान में सिस्मिक जोन चार में आता है। समय-समय पर अपराधियों ने जोशीमठ में सीमित निर्माण कार्यों को स्वीकार करने की बात कही।

वर्तमान में एनटीपीसी की ओर से वहां जिस तरह से काम खींचा जा रहा है, पूरा जोशीमठ डैमेज की जड़ में आ गया है। कहा, वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद एक कमेटी हुई थी, जिसकी संस्तुति की थी कि समुद्रतल से 2200 फीट से ऊपर के क्षेत्र में कोई भी बड़ी परियोजना न लगे।

कहा कि इसके बावजूद भी बंधक की ओर से वहां डाइनामाइट का प्रयोग किया जा रहा है। साल 2021 में जब इसका खतरा बढ़ने लगा था। पिछले 21 दिनों से विभिन्न अंगों और बुद्धिजीवियों की ओर से जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार से जोर लगा रही है। अब सरकार नींद से जाएगी। इस पर मूक दत्त जोशी, पीके अग्रवाल, गरिमा दसौनी, नव जोशी, अनुकृति गुसाईं, नरेशानंद नौटियाल, जोशीमठ के पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रकाश रावत आदि उपस्थित थे।

जिलाध्यक्ष ने जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई माहारा
ने आरोप लगाया कि भाजपा के अफेयर्स बदरीनाथ पर लगे अपराधी एवं वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रथम भट्ट ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। साल 2021 में जब बीजेपी की सरकार थी, तब भट्ट बदरीनाथ के विधायक थे। उन्होंने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, जिससे जोशीमठ का संरक्षण किया जा सके।सरकार की जिम्मेदारी, नागरिकों की करे रक्षा
माहरा ने कहा कि बनभूलपुरा की घटना में प्रदेश सरकार का बिल्कुल नकारात्मक रवैया रहा है। यह धारणा समाज में फैली हुई है कि वहां मुस्लिम हैं, इसलिए कांग्रेस उन्हें बचा रही है। सरकार के इस उदासीनता रवैए से हटाए जाने में उत्तराखंड की छवि खराब हुई है। जिस जमीन पर दो इंटर कॉलेज, दो मंदिर, गुरुद्वारे, बैंक और मस्जिद स्थापित हैं, उसमें भी तुष्टीकरण की राजनीति पाई गई। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों की रक्षा करे, लेकिन सरकार की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया।

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