सरकार गांवों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित कर रही है: राज्यपाल
देहरादून, आजखबर: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को एम्स, ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘क्लोज द केयर गैप’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य यूरोलॉजिकल कैंसर के प्रति जन जागरूकता फैलाना था। राज्यपाल ने इस अवसर पर यूरोलॉजिकल कैंसर पर लिखित पुस्तक ‘आशा और उपचार’ का विमोचन किया और हेल्पलाइन नंबर 8126542780 भी जारी किया। इसके साथ ही, उन्होंने कैंसर जागरूकता हेतु लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में यूरोलॉजिकल कैंसर को मात देकर स्वस्थ हो चुके लोगों ने अपने अनुभव साझा किए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार गांवों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित कर रही है। इनमें से करीब सवा लाख सेंटर पहले से ही कार्यरत हैं और करोड़ों लोगों की कैंसर की जांच की जा चुकी है। केंद्र सरकार देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। पहले देश में केवल 7 एम्स थे, लेकिन अब यह संख्या 20 से अधिक हो गई है। केंद्र सरकार ने देशभर में लगभग 40 विशेष कैंसर संस्थानों को मंजूरी दी है, जिनमें से कई अस्पताल सेवाएं देना शुरू कर चुके हैं।
राज्यपाल ने कहा कि बीमारी की स्थिति में गरीबों को अपने घर या जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था, इसलिए सरकार ने मरीजों को सस्ती दवाइयां और इलाज उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी है, जिसमें कई कैंसर मरीज भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जन औषधि केंद्रों का नेटवर्क है, जहां कैंसर की दवाइयां भी बहुत कम कीमत पर मिल रही हैं। कैंसर की दवाओं की कीमतों में करीब 90 प्रतिशत की कमी की गई है। देशभर में करीब 9 हजार जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयां मिलने से गरीबों की दिक्कतें भी कम हो रही हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर मरीज को समय पर और कम से कम परेशानी के साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। मेड इन इंडिया 5जी सेवाएं शुरू होने से सुदूर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति आएगी। उन्होंने कहा कि कैंसर से डरने की नहीं, उससे लड़ने की जरूरत है। समय पर पहचान और समय पर इलाज ही इस रोग का समाधान हैं। राज्यपाल ने कहा कि बीमारी से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है। इसी सोच के साथ देश में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर जोर दिया जा रहा है। जब हम रोकथाम के लिए काम करेंगे तो बीमारियां भी कम होंगी। राज्यपाल ने डॉक्टरों से विशेष आग्रह किया कि कैंसर से होने वाले डिप्रेशन से लड़ने में मरीजों और उनके परिवारों की मदद करें।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि वह अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और नियमित तौर पर अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहें। किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण नजर आने पर शीघ्रता से विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें। उन्होंने बताया कि मूत्र रोग से संबंधित समस्याओं को बताने में लोग अक्सर संकोच करते हैं, जिससे बीमारी और ज्यादा बढ़ती है। हमें बीमारियों को लेकर संकोच को छोड़ना होगा तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं।
कार्यक्रम में बीएससी नर्सिंग की छात्राओं द्वारा प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी और इलाज के लिए नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया गया। आयोजन सचिव और यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने यूरोलॉजिकल कैंसर के लक्षणों, इलाज और सावधानियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग मूत्र रोग से जुड़े 500 से अधिक रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक कर चुका है। कार्यक्रम में टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. एस. उमाशंकर, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, एम्स ऋषिकेश के शिक्षक, विद्यार्थी आदि उपस्थित थे।
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