एसबीआई की लीलापुर शाखा में छह महीने पहले हुई करोड़ों रुपये की हेराफेरी की जांच सीबीआई ने तेज कर दी है। इससे जहां बैंक में खलबली मची है, वहीं पीड़ितों को अपनी डूबी रकम मिल जाने की नई उम्मीद जगी है। जांच एजेंसी ने पीड़ित ग्राहकों को अलग-अलग तिथियों में अपना बयान दर्ज कराने को कहा है।
इसी साल मार्च में यह मामला पकड़ में आया था। पूर्व मैनेजर जयनाथ सरोज पर दो दर्जन से अधिक खाता धारकों ने धोखाधड़ी करके रुपये हड़पने का आरोप लगाया था। खाताधारकों की शिकायत पर प्रभारी मैनेजर शिखर अग्रवाल की तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपित बैंक मैनेजर समेत अन्य पर धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी थी।
हालांकि, पुलिस की जांच से असंतुष्ट ग्राहकों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद लखनऊ खंड पीठ की डबल बेंच के न्यायाधीश विवेक चौधरी व ओम प्रकाश शुक्ल ने पीड़ितों की मांग को जायज ठहराते हुए मामले की जांच सीबीआइ से कराने के निर्देश दिए थे। पीड़ित ग्राहक मिथलेश तिवारी ने बताया कि डाक द्वारा उन्हें सीबीआइ कार्यालय लखनऊ से पत्र भेजा गया है। इसमें अपने मूल बैंकीय दस्तावेजों के साथ उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है।
पीड़ित ग्राहक विजय पाठक को नौ दिसंबर, मिथलेश तिवारी को 10, पूर्णेंदु तिवारी व कमलेश तिवारी को 11, हनुमान प्रसाद तिवारी व नारेंद्र तिवारी को 12 दिसंबर को बयान दर्ज कराने जाना है। इधर, मामले की जांच सीबीआइ द्वारा तेज किए जाने पर बैंक के अधिकारियों व कर्मियों में खलबली है।
भारतीय स्टेट बैंक की लीलापुर शाखा में चार करोड़ 85 लाख 70 हजार रुपये की हेराफेरी 18 मार्च 2024 को उजागर हुई थी। घरौरा निवासी ग्राहक हनुमान प्रसाद तिवारी जमीन खरीदने को लेकर बैंक में जमा अपनी 20 लाख की एफडी को तुड़वाने की जानकारी करने पहुंचे थे।
ब्रांच मैनेजर से जब उन्हें यह पता चला कि उनकी एफडी के अगेंस्ट लोन लिया गया है तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद एक के बाद एक ग्राहक सामने आने लगे तो संख्या 13 हो गई। बैंक पहुंचकर अपनी–अपनी एफडी की जानकारी की तो सभी के होश उड़ गए थे।
बैंक अधिकारियों ने जांच में पाया कि तत्कालीन ब्रांच मैनेजर जयनाथ सरोज द्वारा अपने कुछ बैंक व बाहरी साथियों के साथ मिलीभगत करके ग्राहकों की एफडी पर हेराफेरी व जालसाजी करके उसके अगेंस्ट लोनिंग करके पैसा हड़प लिया है। आरोपित निलंबित ब्रांच मैनेजर फरार हो गया। पुलिस ने उसके पिता धर्मा सरोज व दो संविदा बैंक कर्मियों दीपक कुमार व अनुराग सचान को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। बैंक ने जांच के बाद सशर्त कुछ पीड़ित ग्राहकों को पैसा वापस भी लौटाया है। एसपी डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि यह केस सीबीआइ के पास है। जांच में कोई सहयोग मांगने पर किया जाएगा।