बीजेपी का ब्रह्मास्त्र: हिंदुत्व की राजनीति और जातीय समीकरणों का संतुलन

हिंदुत्व और बीजेपी की जीत

बीजेपी की हालिया जीत में हिंदुत्व की राजनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2024 के चुनावी नतीजों के बाद से यह चर्चा होने लगी थी कि हिंदू वोट बंट रहे हैं, लेकिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को भारी समर्थन मिला, जिससे साफ हो गया कि हिंदुत्व का मुद्दा अभी भी प्रभावी है। विपक्ष ने जाति जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की, लेकिन बीजेपी ने मंडल-कमंडल की राजनीति का इस्तेमाल करके अपनी स्थिति मजबूत कर ली।

जातीय राजनीति का दौर: मंडल बनाम कमंडल

1990 का दौर भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव लेकर आया, जिसे मंडल-कमंडल का दौर कहा जाता है। मंडल आयोग की रिपोर्ट ने उत्तर भारत में जातीय आरक्षण की राजनीति को जन्म दिया। लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, और रामविलास पासवान जैसे नेताओं ने अपने राज्यों में पिछड़ी जातियों का नेतृत्व करते हुए राजनीति को जातीय ध्रुवीकरण तक पहुंचा दिया। इसके विपरीत, राम मंदिर आंदोलन के माध्यम से बीजेपी ने हिंदुत्व की राजनीति को मजबूत किया और इसे “कमंडल की राजनीति” के नाम से जाना गया।

जातीय राजनीति के सामने हिंदुत्व का ब्रह्मास्त्र

विपक्ष के जाति कार्ड के जवाब में बीजेपी ने हिंदू एकजुटता का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, और संघ प्रमुख के नेतृत्व में बीजेपी ने “मंडल” की राजनीति के सामने “कमंडल” का ब्रह्मास्त्र चलाया। इस रणनीति के तहत जातीय विभाजन को नजरअंदाज करते हुए बीजेपी ने हिंदुत्व के नाम पर हिंदू समुदाय को एकजुट किया, जिसका असर हरियाणा और जम्मू में साफ दिखाई दिया।

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बीजेपी की सफलता

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने हिंदू बहुल इलाकों में शानदार प्रदर्शन किया। अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्मे के बाद, बीजेपी ने जम्मू के 30 हिंदू बहुल सीटों में से 26 सीटें जीत लीं। इसी प्रकार, हरियाणा में भी किसान, जवान, और पहलवानों के मुद्दों के बावजूद बीजेपी को भारी समर्थन मिला।

कांग्रेस की जातीय राजनीति का प्रभाव

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में संविधान और आरक्षण को मुद्दा बनाते हुए जातीय जनगणना की मांग की। हालांकि, मंडल कमीशन के ध्वजवाहक रहे नेताओं—नीतीश कुमार, लालू यादव, और अखिलेश यादव—को राहुल गांधी ने पीछे छोड़ दिया, लेकिन इसका असर बीजेपी पर नहीं पड़ा। कांग्रेस की जातीय राजनीति बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे के सामने कमजोर साबित हुई।

भविष्य की राजनीति: बीजेपी का एजेंडा

बीजेपी की जीत से साफ है कि अब पार्टी अपने नीतिगत एजेंडे को पूरी मजबूती से लागू करेगी। हरियाणा में जीत के बाद पीएम मोदी की नीतियों पर जनता की मुहर लगी है, जिससे पार्टी और भी आत्मविश्वास से भर गई है।

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