वर्तमान में 2402 गांवों में चकबंदी करवा रहा है चकबंदी निदेशालय
लखनऊ। प्रदेश के गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए चकबंदी निदेशालय ग्राम चौपालों की मदद ले रहा है। इसके लिए ग्राम प्रधानों की मदद से गांवों में चौपालों का आयोजन किया जा रहा है। चौपालों में चकबंदी के विवाद को समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत करके विवाद का हल निकाला जा रहा है। निदेशालय की कोशिश है कि चकबंदी की प्रक्रिया को लेकर अब किसी भी गांव में कोई विवाद न होने पाए।
चकबंदी निदेशालय वर्तमान में 2402 गांवों में चकबंदी करवा रहा है। इनमें से ज्यादातर गांवों में चकबंदी को लेकर किसी न किसी पक्ष का विवाद चल रहा है। इसलिए चकबंदी अधिकारी पहले विवाद समाप्त करने के लिए ग्राम चौपालों में दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत कर समझौता करवाने की कोशिश कर रहे हैं। समझौते में गांव के बुजुर्गों की भी मदद ली जा रही है।
2402 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू
चकबंदी अधिकारियों की कोशिश है कि जिन 2402 गांवों में चकबंदी चल रही है उनमें सभी की सहमति से चकबंदी का कार्य पूरा किया जाए। प्रदेश में 1,09,201 राजस्व गांव हैं। इनमें से 99,623 गांवों को प्रथम चरण की चकबंदी के लिए चिह्नित किया गया था। 98,634 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। शेष बचे गांवों में से वर्तमान में 2402 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू की गई है।
इस वित्तीय वर्ष में इन गांवों की चकबंदी पूरी करने की कोशिश
निदेशालय की कोशिश है कि इसी वित्तीय वर्ष में इन गांवों की चकबंदी की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। साथ ही उन गांवों को चिह्नित किया जा रहा है जहां पर लंबे समय से चकबंदी की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है।
चकबंदी से किसानों को होने वाले लाभ
सभी किसानों के लिए खेत तक पहुंचने को चकमार्ग व सिंचाई के लिए नाली की सुविधा मिल जाती है। चकबंदी से बिखरे हुए खेत के टुकड़े एक जगह हो जाते हैं। चकबंदी से खेतों की मेड़ों में होने वाली ज़मीन की बर्बादी कम होती है। चकबंदी से खेत का आकार बढ़ता है, जिससे फसल लागत कम आती है। आधुनिक खेती करने में सहूलियत होती है। एक जगह पर खेत होने से देखभाल सही तरीके से हो पाती है।
सरकारी कार्यों के लिए जमीन का आरक्षण
चकबंदी की विशेषता ग्रामसभा की भूमि का संरक्षण भी है। गांव के भावी सर्वांगीण विकास के लिए सार्वजनिक उपयोग के लिए पर्याप्त भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। आबादी, स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान, खाद के गड्ढे आदि के लिए भूमि का आरक्षण हो जाता है।
पांच वर्ष में पूरी होती चकबंदी प्रक्रिया
चकबंदी प्रक्रिया काफी लंबी होती है। इसे पूरा करने के लिए पांच वर्ष का समय निर्धारित है। कहीं-कहीं प्रक्रिया निर्धारित समय के अंदर ही पूरी हो जाती है। आपत्तियां व न्यायालय से स्टे के कारण कभी-कभी इसकी अवधि बढ़ जाती है।