त्रिवेंद्र सिंह रावत पर सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका पर 4 जनवरी को होगी सुनवाई

त्रिवेंद्र सिंह रावत पर सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका पर 4 जनवरी को होगी सुनवाई

देहरादून:  उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब चार जनवरी 2023 को अगली सुनवाई की तिथि तय की है। इस सुनवाई में मामले पर निर्णय होने की संभावना है।

मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध हाई कोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई। दरअसल, हाई कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2020 को उमेश कुमार शर्मा व अन्य मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।

प्रदेश सरकार ने तभी इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब से यह वाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।

इस मामले में सरकार की ओर से कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट आन रिकार्ड वंशजा शुक्ला ने बताया कि सुनवाई के दौरान इस मामले के दूसरे पक्षकार उमेश शर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह मसले का हल निकालना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें थोड़ा और समय दिया जाए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

चिंतन शिविर से तय होगी विकास की दिशा: भट्ट

भाजपा ने सरकार के मसूरी में आयोजित चिंतन शिविर को राज्य को विकास के शिखर की ओर अग्रसर करने वाला निर्णायक कदम बताया है।

प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मंत्रियों, प्रशासनिक अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों के इस विचार मंथन से जो अमृतरूपी विकासोन्मुख योजनाओं का खाका तैयार होगा, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वर्तमान दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लक्ष्य को अवश्य पूरा करेगा ।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सरकार राज्य को 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है और इसके लिए विकास का रोडमैप तैयार करना आवश्यक है।

सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विशेषज्ञ एजेंसियों की मदद लेने जा रही है। साथ ही विकास योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत जरूरतमंदों तक पहुंचे, इसकी चिंता भी आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि विकास योजनाएं इस तरह बनें कि राज्य की भौगौलिक विषमताओं को ध्यान में रखते हुए पर्यटन, उद्योग, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि क्षेत्र इनमें समाहित हों।

उन्होंने विश्वास जताया कि इस चिंतन शिविर में विकास का जो रोडमैप बनेगा, वह आर्थिक सुधार के क्षेत्र में काम करने वाली विशेषज्ञ संस्थाओं और प्रशासनिक इकाइयों के लिए गाइड लाइन का काम करेगा।

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