पिछड़ों को मिले उचित प्रतिनिधित्व : बटोहिया।
देहरादून : मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ उत्तराखंड इकाई के प्रदेश संगठन सचिव जितेंद्र सिंह बुटोइया ने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उत्तराखंड की राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करते हुए ओबीसी, एस सी ,एस टी एवं अल्पसंख्यकों को उनकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु कार्रवाई की मांग की है।
बुटोइया ने कहा कि भारत का संविधान लागू होने के 50 वर्षों में वंचित वर्ग को आंशिक प्रतिनिधित्व मिलना शुरू हुआ था किंतु पिछले 20 वर्षों से देश में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व समाप्त करने का प्रयास चल रहा है जो मानवता व सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। भारत सरकार द्वारा सबका साथ सबका विकास की बात की जाती रही है। महासंघ की ओर से निम्न बिंदु पर कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।
1 – केंद्र व राज्य के सरकारी गैर सरकारी संगठित व असंगठित सेवाओं में सीधी भर्ती और पदोन्नति में सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के लिए अधिनियम बनाया जाए ।
2 – वर्ष 2021 की जनगणना में ओबीसी को भी एससी एसटी की तरह शामिल किया जाए।
3 – एससी एसटी की तरह ही ओबीसी को भी पदोन्नति ने आरक्षण का अधिनियम बनाते हुए इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। 4 – मंडल कमीशन व स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा ओं को पूर्णतया लागू किया जाए। 5 – राष्ट्रहित में न्याय की अवधारणा हेतु भारत सरकार द्वारा भारतीय न्यायिक सेवा का गठन किया जाए।
6 – पुरानी पेंशन बहाली की जाए ताकि बुढ़ापे की चिंता किए बिना कार्मिक बेहतर सेवाएं देते रहे।
7 – मंत्रालय से लेकर शासन, प्रशासन, विभाग, निकायों आदि सभी में आरक्षित वर्गों का सभी पदों के सापेक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु अधिनियम बनाया जाए।
8 – संविधान के अनुच्छेद 309 के अनुसार कार्मिकों की नियुक्ति से सेवानिवृत्ति तक की सेवा शर्तों आदि के लिए अधिनियम बनाया जाए ताकि सेवाओं के दौरान न्यायालयों का कम से कम हस्तक्षेप हो।
9 – सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण तत्काल बंद किया जाए और इन्हें सुदृढ़ करने हेतु उपाय किए जाएं।
10 – आउटसोर्सिंग, संविदा, लेटरल एंट्री की तरह की समस्त भर्तियों पर तत्काल रोक लगाई जाए।
11 – बैकलॉग भर्ती विशेष अभियान चलाकर सभी विभागों में तत्काल विज्ञप्ति जारी की जाए और इसमें समय सीमा तय की जाए ।
12 – चतुर्थ श्रेणी कर्मियों, सफाई कर्मियों की भी नियमित नियुक्तियां की जाए और ठेकेदारी प्रथा समाप्त की जाए।
13 – कोषागार से भुगतान प्राप्त करने वाले सभी के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही अध्ययन करें यह भी नई शिक्षा नीति में शामिल किया जाए ।
महासंघ का मानना है यदि सभी वर्गों का जनसंख्या के अनुपात में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो जाए तो यह मानवता के लिए सामाजिक न्याय का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।