रावण की यही भूल थी उसने गौ को पशु समझा : संत गोपाल मणि l

देहरादून : भारतीय गौक्रान्ति मंच के तत्वावधान में देहरादून के चल रही गौ भागवत कथा के छटे दिन पहले सत्र में आचार्य सीताशरण जी महाराज ने गौ भागवत कथा का प्रसंग में कहा कि गाय सभी सत्कर्म और शुभकर्मों की साक्षी है हम जितने भी शुभकर्म और सत्कर्म कतरे हैं उन पर मुहर लगाने वाली केवल गाय है आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि हमारे यहां कन्यादान सबसे बड़ा दान है लेकिन देखिये वहां भी कन्यादान के तुरंत बाद गौदान करना पड़ता है तभी कन्यादान का फल मिलता है इतनी बड़ी महिमा है गाय की।
गौकथा में आगे गौक्रान्ति अग्रदूत संत शिरोमणि गोपाल मणि जी महाराज ने खान की रावण परम ज्ञानी था वेदों का ज्ञाता था लेकिन रावण ने एक बड़ी भूल करदी गौ को पशु समझ बैठा और गंगा को सामान्य नदी बस इसी भूल ने रावण को राक्षस बना दिया आज भी उन लोगों की दशा भी रावण की ही तरह है जो गौ को पशु समझ रहे हैं जबकि अथर्ववेद कह रहा है कि पशवो न गावः अर्थात गाय पशु नही है पूज्य मणि जी ने भारत की सरकार से सवाल किया कि गाय पशु है कि माता सरकार स्पष्ट करें यदि पशु है तो फिर माता कहने का ढोंग क्यों करते हो और यदि माता है तो फिर गाय को पशु मंत्रालय के अधीन क्यों रखा है क्यों नही सरकार करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सम्मान करती है क्योंकि नही इस देश में गौ के लिए अलग मंत्रालय स्थापित करती है सरकार को अतिशीघ्र गौ मंत्रालय स्थापित कर गौ को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान देना चाहिए भारतीय गौक्रान्ति मंच संगठन गौ को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए पूरे देश में कार्य कर रहा है l


इस अवसर पर श्रीबलबीर सिंह पंवार आनंद सिंह रावत यशवंत सिंह रावत श्रीमती सीता जुयाल शशि भंडारी भवनेश्वरी नेगी श्रीमती सरला मैठाणी वसुमती पंवार आचार्य राकेश आचार्य सूरत राम डंगवाल मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ आचार्य राम भूषण बिजल्वाण, मधु रतूड़ी मंजू नेगी तेजराम नौटियाल सैकड़ों गौभक्त उपस्थित थे।

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