राजधानी में 3.8 की तीव्रता का आया भूकंप, घर से बाहर निकले लोग।
उत्तराखंड : देहरादून में 3.8 तीव्रता का भूकंप (Earthquake in Uttarakhand) आने से हड़कंप मच गया है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप आज यानी मंगलवार को करीब दोपहर 1 बजकर 42 बजे मिनट पर आया और रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर इसकी तीव्रता 3.8 थी. वहीं, भूकंप के झटकों की वजह से लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।
हालांकि इस भूकंप में किसी के घायल होने, जानमाल के नुकसान या फिर संपत्ति के नुकसान की कोई जानकारी अब तक सामने नहीं आयी है. बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र देहरादून ही था, इससे पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 24 जुलाई को देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई थी. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology) के मुताबिक, केंद्र जमीन के भीतर 10 किलोमीटर की गहराई में था. हालांकि इस भूकंप में किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई थी. बता दें कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. उत्तराखंड भूकंप के जोन 5 में आता है।
पिथौरागढ़ में 28 जून को आया था भूकंप
उत्तरकाशी से पहले उत्तराखंड के एक और पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ में भी बीती 28 जून को 3.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था. तब इस भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 55 किलोमीटर दूर पाया गया था. पिथौरागढ़ में 28 जून की दोपहर झटके महसूस किए गए थे और उस समय भी किसी किस्म के जान माल का नुकसान नहीं हुआ था.
IIT रुड़की ने बनाया उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप
आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिकों की टीम ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप (Earthquake Alert App) बनाया है, जोकि 5.5 तीव्रता का भूकंप आने पर अलर्ट करेगा. उत्तराखंड में भूकंप आने पर मौजूदा समय में 71 सायरन और 165 सेंसर लगे हैं. देश में पहली बार ऐसा मोबाइल एप उत्तराखंड में बनाया गया है जो भूकंप आने से 20 सेकंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की भी लोकेशन बताएगा।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार और आईआईटी रुड़की की टीम के द्वारा उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप बनाया गया है. आईआईटी रुड़की इस पर पिछले चार साल से काम कर रहा था. उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप मोबाइल पर डाउनलोड कर के कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन कर सकता है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप आने से जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।