हिंद महासागर में भारत की बढ़ती ताकत से चिढ़ा चीन

पेइचिंग। हिंद महासागर में भारत की बढ़ती ताकत से चीन के होश उड़े हुए हैं। श्रीलंका और मालदीव को कर्ज के बोझ तले कुचलने वाला ड्रैगन अब भारत के दोस्त देश मेडागास्कर को उकसा रहा है। दरअसल, एरो इंडिया 2021 के दौरान भारत ने पहली बार हिंद महासागर क्षेत्र के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन की मेजबानी की। इस दौरान हिंद महासागर में शांति, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ाने पर सभी सहयोगी देशों के बीच चर्चा भी हुई। अब चीन को यह बात खटक रही है कि कहीं भारत की पकड़ इस क्षेत्र में और मजबूत न हो जाए।
यह दोनों देश संप्रभु राष्ट्र हैं। उन्हें अपनी विदेश नीतियों को स्वयं बनाने और अपने अंतर्राष्ट्रीय मामलों को स्वयं करने का अधिकार है। वे आंख मूंदकर खुद को भारत के साथ नहीं आएंगे। इसके अलावा इन देशों ने हमेशा चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। क्योंकि, चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उचित भूमिका निभाने के लिए सक्रिय रूप से उनका समर्थन करता है।
जंगी जहाजों की तैनाती पर चीन की सफाई
चीन ने अदन की खाड़ी में अपने जंगी जहाजों और पनडुब्बियों की तैनाती को लेकर भी बचाव किया। चीनी मीडिया ने तल्ख लहजे का इस्तेमाल करते हुए लिखा कि भारत को याद रखना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में चीन के पास विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है। यदि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकृत और पुष्टि नहीं की गई होती तो चीन अदन की खाड़ी में एस्कॉर्ट मिशन कैसे चला सकता था?
भारत पर बहाना बनाने का लगाया आरोप
भारत पर आरोप लगाया कि हिंद महासागर पर हावी होने की महत्वाकांक्षा की असफलता के कारण भारत ऐसी प्रतिक्रिया दे रहा है। हिंद महासागर पर विशेष नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश अधिक अस्थिर और महंगा होता जा रहा है। इसलिए भारत बहाने के रूप में एक बाहरी कारक को खोज रहा है।

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