हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रही डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट, दल करेगा इसका भरपूर विरोध।

उत्तराखंड : परिवहन निगम की बेशर्मी : ड्राइवर कंडक्टर की नौकरी खाने के पीछे पडी है,जिसे उक्रांद बर्दाश्त नही करेगा….
प्रेस को संबोधित करते हुये केंद्रीय प्रवक्ता सुनील ध्यानी ने कहा कि….
सरकार : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रही डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट ! उत्तराखंड क्रांति दल करेगा इसका भरपूर विरोध….
उत्तराखंड रोडवेज में कार्यरत ड्राइवर कंडक्टर भले ही हाई कोर्ट से अपनी लड़ाई जीत गए हैं, लेकिन उत्तराखंड की कल्याणकारी सरकार को उनके परिवार का सुखचैन शायद रास नहीं आ रहा है।
इन चालक परिचालकों की रुकी हुई तनख्वाह देने और इन्हें सेवा में बहाल करने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल पहले भी परिवहन निगम को ज्ञापन सौंप चुका है किंतु इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है उत्तराखंड क्रांति दल ने परिवहन निगम और सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इन कर्मचारियों के खिलाफ परिवहन निगम डबल बेंच अथवा हाई कोर्ट में गया तथा इनकी रुकी हुई तनखा देने और इन्हें सेवा में बहाल करने को लेकर यदि सोमवार तक कोई निर्णय नहीं हुआ तो उत्तराखंड क्रांति दल बुधवार को पूरे उत्तराखंड के जिला मुख्यालय पर परिवहन निगम के कार्यालयों के सामने परिवहन निगम और सरकार का पुतला फूंकेगा।
उत्तराखंड सरकार ने अच्छी खासी संविदा की नौकरी कर रहे राज्य के साढे तीन सौ से अधिक ड्राइवर कंडक्टर को दोबारा से 11 महीने के अनुबंध पर रखने का फरमान जारी कर दिया।

वर्षों से संविदा पर काम कर रहे ड्राइवर कंडक्टर इस आस में थे कि कभी न कभी वह पक्के हो जाएंगे, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने उल्टे उनको 11 महीने का अनुबंध पर काम करने का फरमान सुना डाला।

जब कर्मचारियों ने आनाकानी की तो अप्रैल से उनका वेतन ही रोक दिया।

इस उत्पीड़न के खिलाफ उत्तराखंड रोडवेज एंप्लाइज यूनियन हाई कोर्ट  की शरण में गई तो हाईकोर्ट ने ड्राइवर कंडक्टरों को अप्रैल से लेकर अगस्त तक का वेतन देने के आदेश दिए साथ ही अंतिम निर्णय आने तक अनुबंध करने पर भी रोक लगा दी।

एक तो सरकार ने कोरोना काल में 6 महीने से इनका वेतन रोका हुआ है, दूसरा हाईकोर्ट का आदेश भी मानने को तैयार नहीं है।

जब उत्तराखंड परिवहन निगम के डीजीएम दीपक जैन से बात की तो उनका कहना था कि हाई कोर्ट ने पता नहीं कैसे यह निर्णय सुना दिया है ! विभाग इसके खिलाफ डबल बेंच में ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा।”

ये ड्राइवर कंडक्टर उत्तराखंड के मूल और स्थाई निवासी हैं जबकि सैकड़ों की संख्या में मार्शल तथा जैब आउट सोर्सिंग कंपनियों के द्वारा लगे हुए ऐसे कर्मचारियों से कोई अनुबंध नहीं भरा गया है जो उत्तर प्रदेश की रहने वाले हैं।

दरअसल परिवहन निगम में इससे पहले उत्तर प्रदेश की आउटसोर्सिंग एजेंसियों से ड्राइवर और कंडक्टर की भर्ती की गयी थी।

इन ड्राइवर कंडक्टरों का मूल निवास तथा तथा स्थाई निवास प्रमाण पत्र भी नहीं देखा गया था।

यह आउटसोर्सिंग कंपनियां बीच में काम छोड़ कर चली गई लेकिन इन एजेंसियों द्वारा लगाए गए कर्मचारियों को विभाग ने अपने अधीन ही रख लिया। इनमें से लगभग 80% कर्मचारियों का मूल निवास स्थाई अस्थाई निवास उत्तराखंड का नहीं है। यह सभी उत्तर प्रदेश के हैं। लेकिन उत्तराखंड विरोधी सरकार और अधिकारी इनके साथ तो कोई अनुबंध नवीनीकरण नहीं कर रहे, जबकि उत्तराखंड के शत-प्रतिशत संविदा चालकों के खिलाफ अनुबंध का कुचक्र रच रहे हैं।

लगभग अर्धशतक से भी अधिक विभागों को दबाए बैठे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास ही परिवहन विभाग है। संभवतः या तो उन्हें जानकारी नहीं है कि उनके अधीन अधिकारी उत्तराखंड के लोगों के खिलाफ क्या कुचक्र रच रहे हैं, अथवा सब कुछ जानते बूझते भी त्रिवेंद्र सिंह रावत खामोश हैं। उक्रांद राज्य कर्मचारियों हकों के लिये संघर्षरत रहेगा।
प्रेस वार्ता में दल के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ए०पी० जुयाल, लताफत हुसैन,शांति प्रसाद भट्ट,ऋषि राणा,अशोक नेगी,पीयूष सक्सेना रहे।

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