हरसिमरत बादल दे सकती है केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा I

जालंधर : कृषि बिलों को लेकर जहां पूरे देश की राजनीति गर्माई हुई है, हर कोई अपने किसान वोट बैंक को संभालने में जुटा हुआ है। कुषि प्रधान पंजाब प्रदेश में भी राजनीति चरम पर है। सत्ताधारी कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी जहां शुरू से ही कषि आर्डीनैंस का विरोध करती आ रही है। वहीं अचानक से अकाली दल ने सबको हैरान किया है। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा का पंजाब भर में बिगुल बजाते हुए अकाली दल लंबे समय तक इन आर्डीनैंस की तारीफ करता रहा है, यहां तक कि खुद केंद्र कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर पंजाब की मीडिया से मुखातिब होकर आर्डीनैंस संबंधी संशय दूर करने की बात करते रहे है।

जमीनी स्तर पर किसानों के विरोध को भापते हुए अकाली दल ने भी एन मौके पर अपनी रणनीती बदल ली। खबर आ रही हैं कि पार्टी के कई नेता जो खेती बिलों के खिलाफ हैं, उन्होंने सुखबीर सिंह बादल के सामने भी इन बिलों का विरोध किया और अपील की कि हमें किसानों के साथ जाना चाहिए और यदि भाजपा हमारे कहे मुताबिक संशोधन नहीं करती तो बीबी बादल को केंद्र के पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। रातों -रात नेताओं के प्रभाव में आकर ही सुखबीर बादल ने कोर कमेटी बुलाई जिसमें तुरंत यू -टर्न लिया गया। उसके बाद सुखबीर बादल ट्विट करके उसी आर्डीनैंस को गलत ठहराते हैं, जिसे सही साबित करने के लिए उन्होंने पूरा जोर लगा दिया था और लोकसभा में भी इस आर्डीनैंस का पक्ष रखा था। दरअसल किसानों के बड़े विरोध और अपने ही नेताओं के मशवरे के बाद अकाली दल को भी ऐसा लग रहा है कि उनका स्टैंड सही नहीं है।

जानकारी के मुताबिक आज दोनों  कृषि संशोधन बिल लोकसभा में पेश होने जा रहे हैं। पता लगा है कि सुखबीर बादल और हरसिमरत कौर बादल जहां इस बिल का विरोध करेंगे, वहीं आने वाले समय में हरसमिरत कौर बादल केंद्र के पद से इस्तीफ़ा भी दे सकते हैं। बेशक अकाली दल को खेती आर्डीनैंस का समर्थन करने पर काफ़ी किरकिरी का सामना करना पड़ा है लेकिन अकाली दल अब एक तीर के साथ 2 निशाने लगाने की कोशिश कर रहा है। एक तो अकाली दल अपना किसानी वोट बैंक बहाल करना चाहता है और दूसरा वह भाजपा के साथ गठबंधन का लगने वाला ठप्पा भी हटाने की कोशिश कर रहा है। राजनीतिक माहिरों के मुताबिक अकाली दल अंदरूनी तौर पर यह भी जान चुका है कि बीते समय से भाजपा ने उन्हें तवज्जों नहीं दी जबकि कुछ बाग़ी नेताओं के द्वारा उल्टा अकाली दल को राजनीतिक से गिराने की कोशिश ज़रूर की जा रही है। ऐसे में अकाली दल के कुछ नेताओं का मानना है कि इससे पहले भाजपा उन्हें लाल झंडा दिखा दे क्यों न वह ख़ुद ही ऐसा फ़ैसला करें जिसके साथ किसानी और पंथक वोट बैंक में उनकी लाज भी बच जाए और आने वाले समय में उन्हें बड़े मसलों का सामना भी न करना पड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *