सैकड़ों बच्चों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

200 से ज्यादा मज़दूरों के बच्चों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्रों द्वारा बच्चों ने अपनी भविष्य पर चिंता जताते हुए राहत के लिए मांग रखे हैं। मूल मांगे और पत्रों का फोटो सलग्न।

7 जून को जन हस्तक्षेप ने आह्वान दिया था कि राज्य के लोग मुख्यमंत्री को पत्र लिखे और पूछे कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारी क्यों नहीं निभा रही है?  उस आह्वान के जवाब में सिर्फ बालिग़ नहीं बच्चों ने भी पत्रों को लिखा। बच्चों की और से लिखे गए पत्र आज दिनांक 19 जून को मुख्यमंत्री को ईमेल द्वारा भेजा जा रहा हैं। जब कोरोना कर्फ्यू खुल जायेगा उनको मुख्यमंत्री कार्यालय में सौंपा जायेगा।

इस समय जब तीसरी लहर आने की सम्भावना है, बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई पर पूरा देश चिंतित है। इसलिए लेबच्चों ने अपना पत्र द्वारा इन मुद्दों को उठाया:

* ऑनलाइन पढ़ाई हमारे लिए बहुत मुश्किल है।  सरकार हर परिवार के लिए मोबाइल या अन्य डिवाइस उपलब्ध कराये। मुफ्त किताबों के लिए भी व्यवस्था बनाया जाए।
* पोषण युक्त राशन किट हर परिवार को मुफ्त मिले।
* बच्चों को पढ़ाने के लिए हर परिवार को आर्थिक सहायता दिया जाये।
* निजी स्कूलों को निर्देश किया जाये की वे फीस कम करे।

अधिकांश बच्चे देहरादून ज़िले के थे। टिहरी गढ़वाल से 50 से ज्यादा मज़दूरों के बच्चों ने भी पात्र लिखा। 9 साल से कम उम्र के बच्चों से पत्र नहीं लिया गया था।

जन हस्तक्षेप

_राजनैतिक दलों की और से_

किशोर उपाध्याय, पूर्व राज्य अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी
समर भंडारी, राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
डॉ सत्यनारायण सचान, राज्य अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले)
राकेश पंत, राज्य संयोजक, तृणमूल कांग्रेस
PC तिवारी, अध्यक्ष, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी

_जन संगठनों की और से_

उत्तराखंड लोक वाहिनी ।
उत्तराखंड महिला मंच।
चेतना आंदोलन ।
जन संवाद समिति।
वन अधिकार आंदोलन ।
उत्तराखंड विमर्श।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन।
हिमालय बचाओ आंदोलन।
गंगा बचाओ आंदोलन।
उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति।
जिला चाय बागान मज़दूर सभा।
नौजवान भारत सभा।
युगवाणी देहरादून।
पीपल्स फोरम उत्तराखंड।

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