सरकार को चुनाव से पहले देश पर ध्यान देना होगा, किसान देश की शान : जितेन्द्र सनातनी।
रामपुर : किसान रोड पर है और देश के नेता अपने इलेक्शन की तैयारी कर रहे हैं रैलियों में जमावड़ा हो रहा है तो मीटिंगों में हजारों लोग पर संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने में समस्या आ रही है।
पूरा देश आज किसानों के आंदोलन का सहयोग कर रहा है ओर किसान अपनी मांगों को लेकर रोड पर बैठे हैं पर किसी भी तरह का कोई भी समाधान न निकल पाना देश के लिए सही नही है, में किसान आंदोलन का समर्थन करता हूँ पर अगर किसान आंदोलन में देश विरोधी नारे लगे हैं तो में कहूंगा कि ऐसे लोगों को ढूंढकर तुरंत कानूनी कार्यवाही हो और उनको सजा मिले, सरकार को किसान विरोधी बिल वापस लेना चाहिए, क्यंकि बिना किसी चर्चा के संसद में यह बिल पास हुए हैं, देश भर से किसान इन बिलों का विरोध कर रहे हैं ।
सरकार को अब फैसला लेना चाहिए कि देश का किसान रोड पर न बैठे वो इस जमा देने वाली ठंड में अपने घरों में रहें और अपने खेती पर ध्यान दें, लोगों को भी आने जाने में परेशानी हो रही है वो सब भी खत्म हो और जल्द ही ऐसी चीजों पर सरकार अपना रुख साफ करे,
किसान आंदोलन में अब तक बहुत लोग अपनी जान गवां चुके हैं कोई और जान न जाए इसका भी ख्याल रखा जाए,
हमे यह बिल्कुल भी नही भूलना चाहिए कि खेत खलिहान ही देश की असली पहचान है बिना खेती हम अनाज नही उग सकते हैं और जब अनाज नही होगा तो हम खाना कैसे खाएंगे।
मानता हूं कि ओर भी सभी चीजें उतनी ही जरूरी हैं जितना कि अन्न पर आगे चलकर किसानो को समस्या न हो इसका ध्यान रखना भी सरकार की जिम्मेदारी है,
अब कोई भी छोटा किसान फसल का भंडारण नही कर सकता है वो बस उतना ही रखता है अपने पास जितना उसके लिए पर्याप्त हो और उनमें भी बहुत से किसान ऐसे होते हैं जिनके पास बहुत कम जमीन होती है वो उतना भी नही रख पाते, इस बार जो हुआ है उसे देखते हुए डर लगता है कि एम एस पी 1800 रुपया है और धान बिका है मात्र 1100 रुपया कुंतल होता यह है कि व्यापारी ओर सरकार को जिस मानक के साथ अनाज चाहिए होता है किसान वो अपनी फसल को उन मानक के अनुसार नही तैयार कर पाता है जिसके कारण उसे वो मूल्य नही मिलते हैं जो सरकार द्वारा तय किए जाते हैं, इसी कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
सरकार को तीनों कानून वापस लेने की जरूरत है ओर किसान हित में कार्य करने की जरूरत है, क्यंकि आप अब बड़े बिचौलिए किसानों के बीच लेकर आ रहे हैं और यह ऐसे बिचौलिए होंगे जिनसे किसान लड़ भी नही सकता है न ही कोर्ट के द्वारा ओर न ही किसी सरकारी अधिकारी के द्वारा क्यंकि एक साधारण किसान शायद अपने जिला मुख्यालय पर भी महीने में एक या दो बार जाता होगा, एक साधारण किसान को लेखपाल ओर पटवारी से बात करने पर भी डर लगता है वो कँहा जिले के अधिकारी के पास जाएगा,
जमीनी हकीकत को हम सभी के लिए बहुत जरूरी है, किसान का तो छोड़ दीजिए एक साधारण व्यक्ति जो रोजमर्रा की जिंदगी जीने के लिए कोई काम करता है वो तक किसी अधिकारी के पास जाने से डरता है फिर चाहे मामला कोई भी हो।
सरकार से उम्मीद है कि किसानों की मांगों को माना जाएगा ओर किसान आन्दोलन जल्द से जल्द खत्म कराया जाएगा, किसानों के आँशु आपको बहुत भारी पड़ेंगे,
किसी ने कहा है।
‘एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना’
एक बार सिर्फ सोच कर देखिए की उन पर क्या गुजरी होगी जिन्होंने अपने परिवार का मुखिया खो दिया जिन्होंने अपने परिवार का चिराग खो दिया, इन बातों पर गौर कीजिए और देशहित किसान हित मे सही फैसला लीजिए।