श्रद्दांजलि सभा : त्रेपन सिंह चौहान I

देहरादून : 13 अगस्त 2020 को जन आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार त्रेपन सिंह चौहान के असामयिक निधन हुआ था। आज उनकी याद में उत्तराँचल प्रेस क्लब, देहरादून में शोक सभा की गई।  शोक सभा में वरिष्ठ साहित्यकारों एवं बुद्दिजीवियों के साथ विभिन्न संगठनों और राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल रहे।

कार्यक्रम में वक्ताओं का कहना था कि श्री त्रेपन सिंह चौहान एक लेखक थे, आंदोलनकारी थे और बुद्दिजीवी थे। चिपको आंदोलन से ले कर राज्य आंदोलन तक, बांधों के खिलाफ संघर्षों से ले कर असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के यूनियन बनाने तक, वे इस राज्य के बहुत सारे जन संघर्षों से जुड़े थे। वे एक साहित्यकार भी थे। उनके उपन्यास “यमुना” और “हे ब्वारी” बहुत चर्चित रहे हैं। उन्होंनेमहिलाओं के सम्मान और हक़ों के लिए भी आवाज़ उठाई। उन्होंने दो बार घसियारी प्रतियोगिताएं का भी आयोजन किया , इस मकसद से कि पहाड़ के महिलाओं की ज़िन्दगियों और संघर्षों को भी इज़्ज़त मिले।  एक छोटी सी ज़िन्दगी में उनके विचार और कदमों ने लाखों लोगों के ज़िन्दगियों को बदल दिया। 2016 से त्रेपन भाई एक  बेहद गंभीर बीमारी यानी मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND) से लड़ रहे थे, लेकिन बीमार होने के बावजूद भी जन संघर्षों से जुड़े रहे ।

वरिष्ठ आंदोलनकारी गीता गैरोला; चेतना आंदोलन से विनोद बडोनी और शंकर गोपाल; भारतीय नेशनल कांग्रेस के पूर्व राज्य अध्यक्ष किशोर उपाध्याय; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी; समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष डॉ एस एन सचान; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( – ले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी; वरिष्ठ साहित्यकार लाल बहादुर वर्मा; वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जीतेन भारती; जन संवाद समिति से सतीश धौलखंडी; और पर्चास से कैलाश ने सभा को सम्बोधित किये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता बची राम कंसवाल ने किये, बिमला राणा और हरीश बडोनी ने संचालन किया।

कोरोना महामारी की वजह से कार्यक्रम को छोटा रखना पड़ा। वक्ताओं ने कहा कि आगे भी त्रेपन सिंह चौहान की याद में और कार्यक्रम रखे जायेंगे।

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