शमावैसी लोकतंत्र का सबसे बड़ा सामूहिक अपराध का शिकार असहाय दलित, जिसे अकेले बेनकाब किया दलित ने l
देवभूमि उत्तराखंड : अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन शमा वैसी लोकतंत्र का सबसे बड़ा अन्याय एक संघ रक्षित मानव समाज जो विलुप्ती के कगार पर 3 अंको वाली दुर्लभ आदम हिमालयन जनजाति सीमांत जनपद पिथौरागढ़ चीन तिब्बत सीमा में वन राजी जनजाति के बच्चों को निर्दोष रहते हुए भी 12 से 14 साल आयु से आजीवन कारावास की सजा 2005 से वर्तमान में सेंट्रल जेल सितारगंज उत्तराखंड में सजा काट रहे है l
बाल संरक्षण आयोग उत्तराखंड का केंद्रीय तथा गवर्नर हाई कोर्ट जांच में कई बार नाबालिक साबित हो चुके हैं फिर भी रिहाई नहीं होती निर्भया हत्या बलात्कारी दुर्लभ अपराधी बच्चा मात्र 3 साल में बाल सुधार गृह से रिहा हो जाता है लेकिन रिहा नहीं होते संरक्षित मानव समाज के जनजाति के बच्चे क्यों…..
वन राजी जनजाति मानसिंह 10 जुलाई 2007 से f.i.r. संख्या /2007 पुलिस हिरासत से गायब जिसने पूर्व गवर्नर मार्गेट अल्वा के आदेश पर शिकायत राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण उत्तराखंड शासन में पंजीकृत 31 दिसंबर 2015 प्राधिकरण के चेयरमैन तथा 3 मेंबरों ने मान सिंह की हत्या पुलिस हिरासत में मानी है उत्तराखंड शासन तथा राज्यपाल को निर्देश पुलिस के अतिरिक्त किसी विशेष जांच एजेंसी से जांच की जाए जांच की नहीं जाती क्योंकि हिमालयन आदिवासी 356 किलोमीटर चीन तिब्बत सीमा का निवासी राजनीतिक शक्ति भीन है इसलिए दोनों मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता है जो राष्ट्र के गौरव में छवि को इंटरनेशनल पटल पर मिट्टी में मिलाती है दोनों मामले में मैंने 12 वर्ष से अकेले ही संघर्ष किया है और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा रचित संविधान में राष्ट्र का सामूहिक अपराध हो बेनकाब किया है पटवारी से लेकर राष्ट्रपति तक अपराधी कहलाए जाएंगे लोकतंत्र के इतिहास में 5 वर्ष से घर से बाहर कवि जंतर मंतर दिल्ली कवि धरना स्थल प्रेट ग्राउंड देहरादून मैं अकेला धरना 24 घंटे देता हूं अनगिनत ऑनलाइन ऑफलाइन पिटिशन पीएमओ राष्ट्रपति राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का जो चीफ सेक्रेट्री सचिव सतर्कता तथा मानवाधिकार उत्तराखंड के इंटरनेट पोर्टल पर अंकित है, धरना स्थल से डीएम देहरादून सिटी मजिस्ट्रेट देहरादून के माध्यम से लगातार गवर्नर मुख्यमंत्री मुख्य सचिव को आवेदन देता हूं फिर भी असहाय जनजाति को न्याय नहीं मिलता क्योंकि उनका वोट बैंक 0 है वह किसी राजनीतिक पार्टी का समीकरण बना सकते हैं ना बिगाड़ सकते हैं बहुजन समाज के मसीहा दलितों के ठेकेदार जनजातियों के नेता भी उनकी सुध नहीं लेते पर्यावरण संरक्षण मानवाधिकार में हरियाली आंसू बहाने वाले को तथा मीडिया को इस संबंध में तनिक भी जानकारी नहीं है जबकि मामला सामरिक महत्त्व से अति संवेदनशील चीन तिब्बत तथा नेपाल सीमा से जुड़ा है जो देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही घातक है हालात में सुधार नहीं की गई तो 1 दिन बन राजी सुंदर पृथ्वी से सदा सदा के लिए विलुप्त हो जाएंगे कल दूसरा हिमालयन दलित विलुप्ती का शिकार बनेगा चीन तिब्बत सीमा चीन तिब्बत सीमा में भारतीय आखरी सरहदों में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के शिवा अन्य समुदाय मिलो दूरी तक निवास नहीं करता है जो आदि काल से सीमा के परहरी हैं तथा केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री यमुनोत्री कैलाश मानसरोवर के उपासक तथा मार्गदर्शक रहे हैं चीन के करीब रहते हुए भी भारतीय दलित आज तक एक भी चाइना का एजेंट साबित नहीं हुआ इससे भी बड़ा राष्ट्रवाद और क्या हो सकता है हिमालयन दलित जिसने विजेन्द्र री पाल गूगल के डूडल के अद्भुत शाह से हीरो जिन्होंने अन्वेषण मैं कोलंबस मार्को पोलो से ऊंचा काम कर राष्ट्र का गौरव विश्व में बढ़ाया है पद्मश्री लक्ष्मण सिंह जंगपांगी ने 1962 में देश सुरक्षा में अहम भूमिका निभाई है तिब्बत में नियुक्तियों के दौरान हरी चंद्र सिंह रावत पद्मश्री लव राज सिंह विश्व विख्यात है हिमालयन दलितों की बिरादरी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक चीन तिब्बत सीमा में निवास करती है जो कि विश्व विख्यात भी है माननीय महोदय जी जब से देश के प्रधानमंत्री है मैं धरना स्थलों से ध्यान धरना लगा रहा हूं देश के गौरव में छवि को विश्व स्तर पर बरकरार रखने के लिए जिस दशक में मोदी जी पैदा हुए हैं उसी दशक में मैं भी पैदा हुआ हूं महोदय जी के माताजी अभी जीवित हैं मेरी मां भी जीवित है महोदय जी ने बचपन में चाय बेची है तो मैंने 18 वर्ष की उम्र से भारत चीन सीमा में आइटीबीपी तथा भारतीय सेना के अग्रिम चौकियों से कोसों आगे राष्ट्र सुरक्षा में 12 साल तक तैनात रहा हूं मेरे अपनों ने देश में तथा देश से बाहर अद्भुत कार्य किए हैं जनहित तथा राष्ट्र हित में आज महोदय जी जो करते हैं मां के आशीर्वाद से महोदय जी अपनी मां से समय-समय पर मिलते रहते हैं नया 5 सालों से अपनी मां से भी नहीं मिल पाया क्योंकि मैंने भीष्म प्रतिज्ञा की है जब तक मैं आशाह बनराजी जनजाति के बच्चों को जिनका बचपन चंद घटिया मानसिकता के पुलिस तथा न्यायपालिका में बैठे जिम्मेदार लोगों ने अभिशाप बना दिया नियम और कानूनों के रहते हुए जब तक उनको रिहा करके उनके भावों से ना मिलाऊं तब तक मेरे घर वापसी का सवाल ही नहीं बनता उस बनरा जी असहाय निरीक्षर अति गरीब अनाथ बच्चों की मां जिसके पति को पुलिस रासत में हत्या कर विशाल काली नदी में बहा दिया है फिर उसे कानूनी भगोड़ा घोषित किया है असहाय महिला को विधवा पेंशन सेवी वंचित रखा है क्या कहें अपने को बनरा जी महिला विधवा या सुहागन जवाब देना होगा भारत सरकार को l
जिसकी हत्या को राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में साबित कर दिया गया है जिसमें उत्तराखंड सरकार पीएम ओं पेटीशन पर भी कार्रवाई नहीं कर रही जब तक कार्रवाई नहीं होती आशाह जनजाति महिला को बताना होगा उसकी पति की हत्या 10 जुलाई 2007 में पुलिस ने कर दी वह विधवा है मैं जसवंत सिंह जंगपांगी फक्र से कहता हूं शमा वैसी लोकतंत्र में संरक्षित हिरण के शिकार मामले में अरबों के गोल्डन टाइगर सलमान खान को 5 साल की कठोर सजा सुनाई जाती है उत्तराखंड में संरक्षित मानव की हत्या पुलिस हिरासत में तथा संरक्षित मानवों के बच्चों को मृत्युदंड से कठोर सजा आजीवन कारावास मामले में क्या सजा दोषियों को होनी चाहिए अभी कुछ महीने पहले सिटी नल संरक्षित जनजाति अंडमान निकोबार ने अमेरिकन नागरिक को मार डाला तथा कुछ वर्ष पूर्व जाखा संरक्षण जनजाति ने गैर गैर से उत्पन्न शिशुओं को मार डाला महामहिम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को पूछना चाहिए उपराज्यपाल अंडमान निकोबार से उन्होंने क्या कार्रवाई की संरक्षित जनजातियों के जघन्य अपराधों में आज मेरी हालत समावेशी लोकतंत्र में ऐसी बत्तर कर दी गई है संविधान की चारों स्तंभों ने तथा मानव आधिकार पर्यावरण संरक्षण के कार्यकर्ताओं तथा बहुजन समाज के मसीहा तथा दलितों के ठेकेदार ऐसी हालत तो सी आई बो ली की तानाशाह चीन में भी नहीं थी जो चीन में मानव अधिकार कार्यकर्ता तथा लोकतंत्र की मांग चीन में करते थे जिसे तानाशाह चीन ने जेल में सड़ा सड़ा करके मार डाला लेकिन उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खबरें समय-समय पर प्रकाशित होती थी अमेरिका नॉर्वे स्वीडन जैसे उनके बारे में जानकारी हासिल करते रहते थे लेकिन मुझे मीडिया ने तथा अमेरिका स्वीडन नॉर्वे इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया जैसे मानवाधिकार के ठेकेदारों ने भी नजरअंदाज कर दिया जबकि मैं सबसे बड़े दुनिया का मानवाधिकार उल्लंघन का तथा सबसे बड़े अन्याय को विश्व पटल पर बेनकाब कर चुका हूं अकेला वन मैन आर्मी एक्शन से मेरा कोई सहयोगी नहीं है ना मैं जाति धर्म परदेस तथा राष्ट्र के फाउंडेशन को नहीं मानता मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं किसी राष्ट्र के जीडीपी के बढ़ने से उसे दीक्षित राष्ट्र नहीं कहा जा सकता दीक्षित राष्ट्र उसे कहा जाएगा जो दुनिया के सबसे असहाय सीधे सरल अहिंसक आदम दुर्लभ संरक्षक जनजाति के सामाजिक न्याय और मानवाधिकार के रक्षा करेगा यही 5000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति की विचारधारा सर्वे भवंतू सुखिनाह वसुदेव कुटुंबकम शहंशाह समानता मित्रता विवेकता धर्मनिरपेक्षता के विचारधारा के संकल्पना से भारतीय राष्ट्र तथा संविधान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान की आदर्श था पवित्रता मर्यादा परंपरा यही कहती है यदि मेरे आरोप निराधार एवं गलत हैं तो मैं सरासर देशद्रोह का पात्र बनता हूं यदि मेरे आरोप सत्य हैं तो पटवारी से लेकर राष्ट्रपति तक अपराधी हैं हाल के वर्षों में जब उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की घोषणा हुई थी हरीश रावत सरकार में तब माननीय हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया था राष्ट्रपति राजा नहीं होता यानी कि समावेशी लोकतंत्र में कानून तथा राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं होता डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट को क्या अधिकार है नियम कानूनों के रहते हुए आशाह आदम दुर्लभ विलुप्त हो रही हिमालयन जनजाति के जीवन से खिलवाड़ करने का वर्ष 2010 वन राजी बच्चों को आजीवन कारावास मामले में मेरी याचिका परिवार रजिस्टर के आधार पर जिसमें उनकी उनकी जन्मतिथि 1990 और 92 वे की है वारदात 2005 की यानी उस समय उनकी उम्र 12 से 14 साल की थी माननीय हाईकोर्ट ने संवेदनहीन हो कर मेरी याचिका खारिज की जबकि पूर्व जनरल वर्तमान राज्य मंत्री वेवी सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की असली जन्म प्रमाण पत्र ग्राम परिवार रजिस्टर ही होता है वर्ष 1913 से मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट में लंबित जबकि आशाह जनजाति बच्चों का बचपन हर पल जेल की कालकोठरी ओं में ध्वस्त होता जा रहा है जबकि मैंने बचपन बचाओ अभियान के मसीहा नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी से भी अनुरोध किया उन्होंने भी मामले को नजरअंदाज किया मुझे लगता है उत्तराखंड सरकार मुझे धरना स्थल में सड़ा सड़ा के मार डालना चाहती है सिया बोली की तरह मैं हताश नहीं हूं हिमालय का बेटा हूं हिमालय का बेटा हूं अभाव अपमान जो को सहते सहते 5 साल में मेरी हालत ऐसी हो गई है जैसे हिमालय से निकलकर गंगा यमुना तथा अन्य नदियों की मैदान में उतरने के बाद हो जाती है मैंने एंकर गिरना त्यागने की दीक्षा उन्हें पवित्र पावन अविरल गंगा यमुना से सीखी है जन कल्याण स्वास्थ्य दुर्भाग्य यह है कि दुनिया का सबसे श्रेय मानवी कार्य करने पर भी मुझे एक सहयोगी नहीं मिला तब भी मैं निराश नहीं हूं क्योंकि मेरा काम आसाराम है राम रहीम रामपाल वाला नहीं दलित का बेटा हूं जो सीधा सरल और मेहनत से जीवन जीने का संदेश संपूर्ण विश्व को देता हूं मैं मोदी जी से आज एक अनुरोध करता हूं आपने हिमालयन आदिवासियों का पोशाक पहनकर केदारनाथ में रुद्रा ध्यान लगाया आप प्रचंड बहुमत से पुनः समावेशी लोकतंत्र के प्रधानमंत्री है 5 साल के लिए फिर बने हैं मैं एक सवाल पूछता हूं क्या मुझे फिर 5 साल धरना में बैठना पड़ेगा अंबुज शर्मा सेकटरी पीएमओ तथा पीएमओ के इंटरनेट पोर्टल ओं को जो ट्रांस प्रेस ए वर्ड से लिंकेज हैं और अनगिनत ऑफलाइन ऑनलाइन जो चीफ सेक्रेट्री उत्तराखंड शासन को आदेशित किया गया है जिन मामलों को गवर्नर देवी रानी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा मुख्य सचिव सतर्कता सचिव गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जो सरासर समावेशी लोकतंत्र तथा आपके गौरव में छवि को अंतरराष्ट्रीय पटल पर मिट्टी में मिला देने की साजिश है वह भी उन्हीं लोगों द्वारा जो आपकी कृपा से जिम्मेदार पदों में बैठे हुए हैं मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामनाएं करता हूं, जसवंत सिंह जंगपांगी धरना स्थल देहरादून l