वाध यंत्रों में छिपी हुई प्रतिभाओं को पहचान दिलाने को होगी प्रतियोगिता।
देहरादून : उत्तराखंड में पारम्परिक वाध यंत्रों में छिपी प्रतिभा को पहचान दिलाने का बीड़ा देहरादून के जाने माने वरिष्ठ फिजिशियन डॉ केपी जोशी ने उठाया है। उनकी इस मुहिम को सरकार का सहयोग भी मिल गया है। राज्य के 14 जिलों से छिपी प्रतिभाओं को पहचान दिलाने के लिए प्रतियोगिता होगी। जिसमें अव्वल आने वालो को पुरस्कार देने के साथ ही रोजगार भी दिलाया जाएगा।
प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में चारधाम अस्पताल के संचालक डॉ केपी जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में ऐसी प्रतिभाओं को चिन्हित कर उन्हें आगे लाने का एक प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के प्रत्येक जिले से ऐसी 5 प्रतिभाओं को चिन्हित किया जायेगा। प्रतियोगिता का उद्देश्य मुख्य रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों से ऐसी प्रतिभाओं को ढूंढकर लाना है, जिन्हें अपनी प्रतिभा का राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का अभी तक अवसर नहीं मिला है। मसलन कोई विशिष्ट पहचान नहीं मिली है।
ये प्रतिभागी किसी विशिष्ट कला जैसे परम्परागत वाद यंत्रों, संगीत, सांस्कृतिक परम्परा, शिल्प एवं कारीगरी से जूड़े होंगे। साथ ही रिंगाल, लकड़ी, ऊन, नेचुरल फाईवर, ताम्र आदि का काम करते हो। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर एक समिति बनाई जायेगी, जो ऐसी प्रतिभाओं को विभिन्न श्रोतों से चिन्हित कर एवं उनके प्रदर्शन के आधार पर संस्तुति करेगी। प्रत्येक जनपद से 5 प्रतिभाओं का चयन किया जायेगा।
राज्य स्तर पर भी एक समिति का गठन किया जायेगा। जो जनपदों से संस्तुत प्रतिभागियों में से 5-5 प्रतिभाओं का चयन करेगी।
प्रतिभाओं को निम्नानुसार नकद पुरुष्कार दिये जायेंगे।
प्रथम पुरुष्कार 51000, द्वितीय पुरुष्कार, 31,000
और तृतीय पुरुष्कार 21000 का होगा। सरकार की ओर से भी सहयोग करने की मंजूरी मिल गयी है। इस काम में उधोग विभाग सहयोग करेगा। योग्यतानुसार व्यवसायिक संस्थानों में रोजगार दिये जाने का प्रयास किया जायेगा।संगीत एवं वाद यंत्रों से सम्बन्धित प्रतिभाओं को जिला एवं राज्य स्तर पर प्रदर्शन का अवसर दिया जायेगा ताकि उनकी आमदनी में वृद्धि हो सकें। इस बात का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। इस अवसर पर उधोग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल भी मौजूद रहे।