यूकेडी ने किया विधानसभा विशेष सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ उपवास l
देहरादून : आज दिनाँक 07/01/2020 को उत्तराखंड क्रान्ति दल द्वारा विधानसभा के पास उपवास रखकर महामहिम राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया, उपवास कार्यक्रम दल के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार के नेतृत्व में ज्ञापन दिया और कहा गया कि राज्य निर्माण की भूमिका में अहम रही है, इसलिए राज्य के बुनियादी सवालों से लेकर राज्य के अस्तित्व बचाने की बात उत्तराखंड क्रान्ति दल करता है, जो कि हिमालय का पहरी भी है।
9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड अपने अस्तित्व में तो आया तथा राज्य की 70 विधानसभाओं का गठन हुआ, राज्य का 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है, इसलिए उत्तराखंड क्रान्ति दल पूर्व से ही मांग करता आया है कि राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर किया जाय जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश की लोह स्पीति विधान सभा बनी है, जो कि 25 हजार की जनसंख्या पर बनी,दूसरी तरफ लद्दाख लोक सभा भी 50 हजार की जनसंख्या पर बनी हुई है जिनका आधार क्षैत्रफल यानी भौगोलिक आधार लिया गया।
उत्तराखंड के साथ ऐसा नही किया जिसका 80 प्रतिशत भाग पर्वतीय है, एक और खिलवाड़ हमारे साथ किया गया 2005 में फिर उत्तराखंड राज्य का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया और पर्वतीय जनपदों की 6 विधानसभा घटाकर मैदानी जनपदों में जोड़ दिया गया, जबकि उत्तराखंड राज्य के साथ बने छत्तीसगढ़ और झारखंड बने उनका दोबारा परिसीमन नही हुआ यह खेल उत्तराखंड राज्य के साथ हुआ।
पूर्वोत्तर राज्यो में भी भौगोलिक आधार का घ्यान दिया गया था, महोदय 2026 में पूरे देश का परिसीमन 2021 की जनसंख्या के आधार पर होना है, ऐसे में उत्तराखंड राज्य के परिसीमन होने पर राज्य की 80 प्रतिशत पर्वतीय भाग से 15 से 18 विधानसभा सीटे कम हो जाएगी जिससे उत्तराखंड राज्य का औचित्य क्या रहा गया।
इसलिए महोदय मांग करते है कि 2026 में राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन का आधार क्षैत्रफल यानि भौगोलिक आधार हो का प्रस्ताव उत्तराखंड विधानसभा से पास होकर केंद्र सरकार व भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाए।
उत्तराखंड राज्य की सीमाये दो अंर्तराष्ट्रीय नेपाल और चीन से मिलती है, लेकिन कोई भी सरकार उत्तराखंड के बारे में कभी भी गंभीर नही रहा है, राज्य के बने इन 19 वर्षो बाहरी व्यक्तियों की घुसपैठ हुई है राज्य के जमीनों पर बाहरी व्यक्तियों ने ओने-पौने दामो में खरीद कर जमीनों का व्यवसाय करने लग है l
उत्तराखंड क्रान्ति दल इसका विरोध करता आया है तथा राज्य के अस्तित्व के साथ ऐसा खिलवाड़ न हो जिससे यहां की संस्कृति,व सांस्कृतिक धरोहर बाख न सके इसलिए महोदय दल मांग करता है कि उत्तराखंड राज्य में धारा 371 लागू किया जाय, ज्ञापन में राज्य के किसानों का विगत वर्षों से गन्ना भुगतान अभिलम्ब दिया जाय तथा राज्य के एकमात्र बिजली प्रोजेक्ट टिहरी बांध (टी० एच०डी०सी०) को बेच दिया है,जिसका दल विरोध करता है, तथा इसे वाफिस लिया जाय l
इस कार्यक्रम में त्रिवेंद्र सिंह पंवार, बी डी रतूड़ी, हरीश पाठक, ए पी जुयाल, डी के पाल, सुनील ध्यानी, किशन रावत, जय प्रकाश उपाध्याय, बहादुर सिंह रावत, प्रहलाद रावत, सम्राट पंवार, ललित बिष्ट, रेखा मिंया, राजेन्द्र बिष्ट, प्रमिला रावत, राजेश्वरी रावत, सीमा रावत, गीता बिष्ट, मंजू रावत, अब्बल भंडारी, रविन्द्र वशिष्ठ, राकेश राजपूत, दीपक गौनियाल, एम डी शर्मा, समीर मुंडेपी, समीर मुखर्जी, आशीष नौटियाल, प्रेम नेगी, एम एस शाही, युद्धवीर चौहान, के डी जोशी, सुरेंद्र पेटवाल, बी एस सजवाण, कमल कांत, गुलबहार, मेहर सिंह राणा, अशोक नेगी, उत्तम रावत, कुंवर प्रताप, संजीव शर्मा, एनी थापा आदि लोग मौजूद थे।