भारत की पूर्व मंत्री एवं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर शोक की लहर l

नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की सीनियर लीडर सुषमा स्वराज का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे अर्से से बीमार चल रही थीं और उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। बीमारी की वजह से ही उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से खुद को अलग रखा था। रात 8 बजे उन्होंने ट्वीट करके प्रधानमंत्री को धारा 370 हटाये जाने पर बधाई दी थी। और उसके बाद रात को 9 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया जहां वे जिंदगी की जंग हार गईं।सुषमा स्वराज देश की पहली महिला विदेश मंत्री थीं। बीजेपी के शासन के दौरान सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थी। उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।

सुषमा स्वराज का जीवन परिचय
सुषमा स्वराज एक भारतीय राजनेत्री और भारतीय जनता पार्टी की सदस्या थी। वे मोदी वर्तमान सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री थी।  उन्होंने छठे सत्र में संसद की सदस्या के रूप में सेवा की है और 15वीं लोक सभा में विपक्ष की नेता रहीं। वे 1977-1982 और 1987-1909 के दौरान दो बार हरियाणा से और 1998 में एक बार दिल्ली से विधायक बनीं। अक्टूबर 1998 में इन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री का पद संभाला। इनके राजनीतिक करियर का ग्राफ (आलेख) भारतीय राजनीति में इनकी भूमिका की एक अभिव्यक्ति है। इन्होंने सत्ताधारी पार्टी की सदस्या और विपक्ष की सदस्या दोनों ही प्रमुख पदों पर कार्य किया। वह ऐसी कई युवा महिलाओं के लिए एक आदर्श प्रतिमान हैं जो भारतीय राजनीति के मार्ग पर चलने की इच्छा रखती हैं।

1977 में सुषमा स्वराज सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनीं, उस समय उनकी आयु 25 वर्ष थी। 1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान, इन्होंने सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा वार्ता के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था। वर्तमान में सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय सचिव के साथ साथ पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता भी हैं।

सुषमा स्वराज व्यक्तिगत पृष्ठभूमि
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के यहाँ अंबाला छावनी में हुआ था। इनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रतिष्ठित सदस्य थे। इन्होंने राजनीति विज्ञान और संस्कृत जैसे प्रमुख विषयों से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1970 में इन्होंने, अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार प्राप्त किया।

सुषमा अतिरिक्त पाठ्यचर्या गतिविधियों में प्रवीण थीं। इनकी रुचि शास्त्रीय संगीत,कविता,ललित कला और नाटक में भी थी। इन्हें कविता और साहित्य पढ़ना भी अच्छा लगता था। सुषमा स्वराज को लगातार तीन वर्षों तक एस.डी.कॉलेज के एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ सैनिक छात्रा घोषित किया गया। हरियाणा के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता पुरस्कार प्रदान किया गया। वह ए.सी. बाली मेमोरियल घोषणा प्रतियोगिता में पंजाब विश्वविद्यालय की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता बन गईं। उन्होंने भाषण प्रतियोगिताओं, वाद विवाद प्रतियोगिताओं, नाटकों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में कई पुरस्कार जीते हैं। वह चार साल तक हरियाणा राज्य के हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षा भी रहीं।

सुषमा स्वराज ने 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल, जो कि एक क्रिमिनल लॉयर हैं, से विवाह किया। स्वराज कौशल 1990 में देश के सबसे कम उम्र के राज्यपाल बने थे। 1990 से 1993 के दौरान स्वराज कौशल ने मिजोरम के राज्यपाल के रूप में सेवा की। 1998 से 2004 तक, वे संसद सदस्य रहे। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है जिनका नाम बांसुरी है, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है और इस समय लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।

वह राजनीति में कैसे आईं?
नई पीढ़ी की नेता मानी जाने वाली सुषमा स्वराज ने भारतीय राजनीति में अपनी शुरुआत वर्ष 1970 में छात्र नेता के रूप में की थी। इन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे। वह एक आसाधारण वक्ता और प्रचारक हैं, जिन्होंने जनता पार्टी में शामिल होने के बाद आपातकाल के विरोध में सक्रिय रूप से भाग लिया था। भारतीय राजनीति में इनकी भूमिका ने इन्हें पहले दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और बाद में विपक्ष की पहली महिला नेता का पद दिलाया। इन्होंने हरियाणा में महज़ 27 साल की उम्र में ही जनता पार्टी की राज्य अध्यक्षा का पद संभाला था।

सुषमा स्वराज की प्रमुख उपलब्धियां
1977 में जब वह 25 साल की थीं तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं।
1979 में, 27 साल की उम्र में, वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनीं।
सुषमा स्वराज को राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है।
वह पहली महिला मुख्यमंत्री भी हैं।
वह पहली महिला केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी हैं।
सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता भी हैं।
सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
सुषमा स्वराज चार साल तक जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्या रह चुकी हैं।
चार साल तक इन्होंने हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की अध्यक्षा का पद संभाला है।

1977 में, जब सुषमा स्वराज ने हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो ये पहली बार विधान सभा के लिए चुनी गईं थीं। वे भारत में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं और इन्होंने 1977 से 1979 तक जिनमें सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ पद संभाले।
1987 में सुषमा स्वराज को हरियाणा विधान सभा से फिर से चुना गया था। इस बार वे 1987 से 1990 तक सिविल आपूर्ति, खाद्य और शिक्षा के पद संभालते हुए कैबिनेट मंत्री रहीं।
अप्रैल 1990 में, सुषमा स्वराज को राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था।
1996 में सुषमा स्वराज 11वीं लोकसभा के दूसरे कार्यकाल की सदस्य बनीं।
1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान, इन्होंने सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा वार्ता के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था।
1998 में इन्हें तीसरी बार 12वीं लोकसभा की सदस्या के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
13 अक्टूबर से 3 दिसंबर 1998 तक, इन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित किया गया।
नवंबर 1998 में इन्हें दिल्ली विधानसभा के हौज खास विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया, लेकिन इन्होंने लोकसभा सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।
अप्रैल 2000 में सुषमा स्वराज को पुनः राज्यसभा की सदस्या के रूप में निर्वाचित किया गया था।
30 सितंबर 2000 से 29 जनवरी 2003 तक इन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर सेवा की।
19 मार्च से 12 अक्टूबर 1998 तक, वे सूचना एवं प्रसारण और दूरसंचार (अतिरिक्त प्रभार) विभाग में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहीं।
29 जनवरी 2003 से 22 मई 2004 तक, वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा संसदीय मामलों की मंत्री रहीं।
अप्रैल 2006 में इन्हें पुनः पांचवे सत्र के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था।
16 मई 2009 को सुषमा स्वराज को छठी बार 15वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में चुना गया था।
वे लोकसभा में 3 जून 2009 को विपक्ष की उप नेता बनी।
21 दिसंबर 2009 को सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता बनी थीं और तब इन्होंने श्री लालकृष्ण आडवाणी के बाद यह पद ग्रहण किया था।
26 मई 2014 को सुषमा स्वराज भारत सरकार में विदेश मामलों की केंद्रीय मंत्री बनीं।.
वह विभिन्न समितियों की सदस्य रह चुकी हैं जो निम्नलिखित हैं-
सार्वजनिक उपक्रम समिति
पुस्तकालय समिति
हरियाणा विधानमंडल की विधान समिति
राज्यसभा सरकारी आश्वासन पर आधारित समिति
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति
वह निम्नलिखित समितियों की सदस्य रह चुकी हैं-
कानून और न्याय मंत्रालय की हिंदी सलाहाकर समिति
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार समिति
संचार मंत्रालय समिति
राज्यसभा की सामान्य प्रयोजन समिति
संसद की कार्यवाही को प्रसारित करने की समिति
संचार मंत्रालय की टिकट संग्रहण सलाहकार समिति
भारतीय संसदीय समूह की कार्यकारी सदस्या
सुषमा स्वराज को राज्यसभा के उप-अध्यक्षों की सूची में नामित किया गया था
वह निम्नलिखित समितियों की अध्यक्ष रहीं-
संसद परिसर में खानपान प्रबंध संयुक्त समिति
याचिका समिति, राज्य सभा
सुषमा स्वराज को दिए गए सम्मान
सुषमा स्वराज को हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार दिया गया।
सुषमा स्वराज को वर्ष 2008 और 2010 में दो बार सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था। वह उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद थीं।

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