भाजपा एवं कांग्रेस नहीं चाहती एससी-एसटी का भला : मायावती l
लखनऊ : कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी पर जातिवादी रवैया का आरोप लगाते हुए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यह दल एससी एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण का विरोध खुले तौर पर नहीं करती हैं लेकिन अपनी कार्यप्रणाली में हर वह काम करती हैं जिससे समाज का यह वर्ग आपेक्षित और तिरस्कृत रहे l
मायावती ने कहा कि पहले कांग्रेस अब भाजपा सरकारों के जातिवादी रवैया के कारण दलित आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था के जरिए देश की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास विफल होता दिख रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता की बात है उन्होंने कहा कि आरक्षण की सकारात्मक व्यवस्था को जमीनी हकीकत में नहीं लागू होने देना चाहती है भाजपा एवं कांग्रेस पार्टियां इनकी कथनी और करनी में अंतर का पुख्ता सबूत है एससी एसटी और ओबीसी वर्ग शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में मिले आरक्षण का विरोध यह पार्टियां वोट के वह से खुले तौर पर नहीं करती हैं लेकिन अपनी नियत नीति एवं कार्य प्रणाली में हर काम करती हैं जिससे यह सदियों से शोषित पीड़ित उपेक्षित और तिरस्कृत रहे है l
इन कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों को मिलने वाली आरक्षण की सुविधा निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी हो जाए, और यह प्रावधान केवल कागजी होकर रह जाए बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन दलों की सरकारों के न्यायालय के भीतर भी इसी प्रकार के गलत रवैए के कारण अब अदालती फैसलों से लगता है कि आरक्षण एक संवैधानिक अनिवार्यता ना रहकर मात्र सरकारों की इच्छाओं पर निर्भर रह जाएगा जिससे पूरे देश भर में इन वर्गों के साथ-साथ कानून संविधान की मान मर्यादा के हिसाब से काम करने वाले सर्व समाज के अधिकतर लोग भी काफी ज्यादा दुखी और विचलित दिखते है l
उत्तर प्रदेश में 2012 में बसपा सरकार के जाने के बाद से आरक्षण की व्यवस्था के साथ-साथ सरकारी नौकरी में प्रमोशन मैं आरक्षण की व्यवस्था को एक प्रकार से समाप्त ही कर दिया गया है, इसी जातिवादी रवैया का शिकार केवल sc-st समाज के लोग ही नहीं बल्कि ओबीसी वर्ग को भी काफी ज्यादा सताया जा रहा है l
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह आरक्षण की सकारात्मक व्यवस्था को संविधान में नौवीं सूची में लाकर इसको सुरक्षा कवच तब तक प्रदान करें जब तक उपेक्षा और तिरस्कार से पीड़ित करोड़ों लोग देश की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो जाते है, जो आरक्षण की सही संवैधानिक मंसा है l