ब्रेकिंग न्यूज़ : कोरोना ने रोकी हज यात्रा, हज कमेटी रिफंड करेगी पैसा l
नई दिल्ली : भारतीय मुसलमानों के लिए एक बड़ी खबर है, अगर आप अब भी हज यात्रा की आस लगाए बैठें है, तो मुसलमानों के लिए हज इस बार मुमकिन नहीं हो पाएगा, जी हां, हज कमेटी ऑफ इंडिया ने बड़ा फैसला लेते हुए हज पर जाने वाले यात्रियों से लिया गया पैसा वापस करने का एलान किया है, जाहिर है ये खबर हज यात्रा पर जाने की आस लगाए बैठे लोगों को बेहद निराश करने वाली है।
कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेजी के साथ पूरी दुनिया में फैल रहा उसने धार्मिक यात्राओं और धार्मिक आयोजनों को भी अपनी जद में ले लिया है, पूरी दुनिया के अलावा भारतीय मुसलमान भी हर साल जिल हज के महीने में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर में हज यात्रा के लिए जाते है, लेकिन हज कमेटी ऑफ इंडिया के सीईओ मकसूद अहमद खान का कहना है कि इस बार कोरोना वायरस महामारी की वजह से हज यात्रा की महज पांच फीसद संभावना थी ऐसे में हज यात्रा को जाने वाले जिन तीर्थ यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था उनका 100 फीसद पैसा वापस किया जाएगा।
कमेटी की तरफ से एक सर्कुलर जारी करके बताया गया है कि हज यात्रा के महज कुछ ही हफ्ते बचे है, ऐसे में हज यात्रा से जुड़े सऊदी अरब के अधिकारियों की तरफ से 2020 हज यात्रा को लेकर किसी तरह की सूचना नहीं दी गई है, लिहाजा इस अनिश्चितता की वजह से हज कमेटी ऑफ इंडिया ने ये फैसला लिया है कि बिना किसी डिडक्शन के हज यात्रियों को उनका पैसा लौटा दिया जाएगा।
कमेटी की तरफ से हज यात्रियों को एक कैंसिलेशन फॉर्म भरने के लिए कहा गया है, ये फॉर्म हज कमेटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर भी मौजूद है, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस साल भारत से हज यात्रा पर तकरीबन दो लाख हज यात्रियों के रवाना होने की तैयारी थी l
हज यात्रियों के पहले जत्थे को लेकर जाने वाली फ्लाइट 25 जून को रवाना होनी थी, इसके बाद हज यात्रियों के लौटने का सिलसिला दो अगस्त तक चलता मगर इस बार भारतीय मुसलमानों के लिए ये मुमकिन नहीं हो पाएगा,जाहिर है कि हज यात्रा कैंसिल होने से भारतीय हज यात्रियों में खासी निराशा है, इस पूरे मसले पर मौलाना शाहबुद्दीन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
आपको बता दें कि हज हर मुसलमान के लिए बेहद पवित्र यात्रा तो है ही साथ ही इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन भी माना जाता है। आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान के लिए जीवन में एक बार हज यात्रा करना जरूरी है। आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति चाहे तो पुण्य कमाने के लिए किसी दूसरे को भी हज यात्रा पर भेज सकता है।
यूं तो हज यात्रा का इतिहास 7वीं शताब्दी के दौरान इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के जीवन से जुड़ा है लेकिन मुसलमानों का मानना है कि ये रस्म इस्लाम के पूर्व पैगंबर इब्राहिम से चली आ रही है।