निशुल्क किताबें उपलब्ध करवा रहा बुक बैंक, छात्रों को हो रहा फायदा

देहरादून। राज्य सरकार की ओर से आगामी 15 अप्रैल से प्रदेश के सभी स्कूलों में शैक्षिण सत्र 2021-22 की शुरूआत की जा रही है। ऐसे में यदि आप इन दिनों यह सोच कर परेशान हैं कि महंगाई के दौर में अपने बच्चों को किस तरह बाजार से महंगी किताबें दिलवाएंगे, तो अब आपको परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। दरअसल, राजधानी देहरादून के अलग-अलग स्थानों में नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स की ओर से बुक बैंक का संचालन किया जा रहा है। जहां से आप निशुल्क अपने बच्चों के लिए किताबें ले सकते हैं। बशर्ते बच्चे की पढ़ाई पूरी होने के बाद आपको इन किताबों को इस बुक बैंक में वापस लौटना होगा।
एनएपीएसआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बुक बैंक के संचालक आरिफ खान बताते हैं कि साल 2018 में नेहरू कॉलोनी में पहले बुक बैंक की शुरूआत की गई थी। जिसका उद्देश्य यह था कि किसी भी छात्र की पढ़ाई किताबों की कमी के कारण न रुके। इस बुक बैंक से न सिर्फ स्कूली छात्र-छात्राएं निशुल्क किताबें ले सकते हैं बल्कि यदि कोई छात्र किसी प्रतियोगी परीक्षा की किताबें खरीदने में असमर्थ है तो वह भी बुक बैंक में मौजूद प्रतियोगी परीक्षा की किताबें निशुल्क ले सकता है।
गौरतलब है कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बुक बैंक में रखी गई सभी किताबें सेकंड हैंड हैं। यह सभी किताबें अभिभावकों और छात्रों द्वारा इस बुक बैंक को निशुल्क दी गई हैं। जिससे कि आगे इन किताबों से कोई और छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
वर्तमान में देहरादून शहर में नेहरू कॉलोनी के अलावा चंद्रबनी, सहस्त्रधारा रोड, ठाकुरपुर ( प्रेम नगर ), इंदिरा नगर कॉलोनी (वसंत विहार) और विकासनगर में बुक बैंक का संचालित किया जा रहा है।
एनएपीएसआर के राष्ट्रीय सचिव सोमपाल सिंह बताते हैं कि वर्तमान में भी बुक बैंक निशुल्क किताबें ही दे रहा है। कई बार ऐसा हुआ जब बुक बैंक से कुछ छात्र और अभिभावक किताबें तो जरूर ले गए, लेकिन भविष्य में किताबें लौटाना भूल गए। ऐसे में बुक बैंक से ली गई किताबें दोबारा बुक बैंक में लौटाई जाए, इस बात को ध्यान में रखते हुए अब बुक बैंक किताबें देते समय किताब का आधा शुल्क सिक्योरिटी मनी के तौर ले रहा है। यह पैसा अभिभावक या छात्र को किताब वापसी के समय दिया जाता है।
इसके साथ ही बुक बैंक से ली गई किताब कोई अभिभावक या छात्र बाजार में न बेच दें इस बात को ध्यान में रखते हुए बुक बैंक संचालक किताब देते समय अपनी मुहर भी लगाते हैं, जो इस बात का प्रमाण है यह किताब बुक बैंक से निशुल्क ली गई है। एनएपीएसआर की सदस्य सीमा नरूला ने बताया कि पहले बुक बैंक की ओर से जब किताबें दी जाती थी तब उसमें कोई मुहर नहीं लगी होती थी। ऐसे में कई बार लोग इन किताबों को इस्तेमाल के बाद बाजार में बेच दिया करते थे। जिससे बुक बैंक में किताबें कम होने लगी।
वहीं, निशुल्क किताब हासिल करने के लिए बुक बैंक के विकल्प की अभिभावक और छात्र भी जमकर सराहना करते हैं। उनका कहना है कि इस माध्यम से वह बाजार से महंगी किताबें लेने से बच रहे हैं। वही, इसस वे अपनी पढ़ाई भी आसानी से पूरी कर पा रहे हैं।

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