दूरदराज के क्षेत्रों एवं गांवों तक टेस्टिंग एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना होगा

देहरादून। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने कोविड-19 के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा कि ये गये कार्यों एवं राज्यों में कोविड की स्थिति के बारे में सांसदों से वर्चुअल संवाद किया। उन्होंने कहा कि कोविड काल में जनता को उचित इलाज एवं अन्य आवश्यकताओं का ध्यान रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए देश के दूर-दराज के क्षेत्रों एवं गांवों तक टेस्टिंग एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में पिछले एक सप्ताह से कोविड के मामलों में तेजी से कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों तक व्यापक स्तर पर कोविड टेस्ट कराये जा रहे हैं। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ है। वर्तमान में राज्य में 183 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। अभी राज्य में 6110 ऑक्सीजन बैड, 10300 ऑक्सीजन सिलेण्डर, 6110 ऑक्सीजन सपोर्टेड बैड, 1553 आईसीयू, 983 वेंटिलेटर, 2293 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 459 एम्बुलेंस तथा 30 हजार 568 आईसोलेशन बैड उपलब्ध हैं। मई माह में उत्तराखण्ड में प्रति लाख पर सैंपलिंग दर 40 हजार तक भी गई है। अन्य राज्यों की तुलना ने उत्तराखण्ड का कोविड सैंपलिंग रेट बहुत अधिक है। कोविड टैस्टिंग के लिए राज्य में 10 सरकारी एवं 26 प्राइवेट लैब हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आगामी मानसून सीजन के दृष्टिगत  बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी संबंधित  विभाग आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर लें। यह समय चुनौती का है, बादल फटने की घटनाएं भी हो रही हैं। आपदा के दृष्टिगत सभी आवश्यक उपकरण तैयार रखे जाय। जनपद के साथ ही तहसील एवं ब्लॉक लेवल पर भी आपदा कंट्रोल रूम बनाए जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि किसी क्षेत्र में आपदा आने पर रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो। सभी जिलाधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की फोन लिस्ट अपडेट रखें, ताकि किसी भी प्रकार की घटना होने पर त्वरित कार्यवाही की जा सके। आपदा के दृष्टिगत संवेदनशील स्थानों पर रिलीफ कैंप के लिए जगह चिन्हित की जाय।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानसून सीजन के दृष्टिगत पर्वतीय जनपदों में खाद्यान्न की पूर्ण व्यवस्था रखी जाय। सभी लाइन डिपार्टमेंट से नोडल ऑफिसर की नियुक्ति जल्द की जाय। यह सुनिश्चित हो कि आपदा के दौरान किसी भी प्रकार की क्षति होने पर आपदा के मानकों के हिसाब से संबंधित को क्षतिपूर्ति का भुगतान जल्द हो। जिन जनपदों में अभी मॉक ड्रिल नही हुई है, कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर का ध्यान रखते हुए जल्द की जाय। आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील एवं संवेदनशील स्थानों पर हर समय पर्याप्त उपकरणों की व्यवस्था की जाय। आपदा के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारी हेलीपैड मेंटिनेंस पर विशेष ध्यान दें। मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि लोगों को आवागमन में कम से कम परेशानी हो, इसके लिए वैकल्पिक मार्गों की पूर्ण व्यवस्था हो। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से पेयजल एवं बिजली की आपूर्ति के लिए क्विक रिस्पॉन्स हो। पेयजल गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि संवेदनशील जल विद्युत परियोजनाओं के दृष्टिगत इनके आस-पास अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाये जाय। आपदा की दृष्टि से हेलीपैड मेंटिनेंस के लिए डीएम, एसडीआरएफ एवं नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी इनका स्थलीय निरीक्षण करें। यह सुनिश्चित किया जाय कि संचार व्यवस्थाएं  सुचारू रहे। बैठक में वर्चुअल माध्यम से आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, एस.ए.मुरुगेशन, डीआईजी एसडीआरएफ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, संबंधित विभागीय सचिव, सभी कमिश्नर एवं जिलाधिकारी उपस्थित थे।

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