डा. योगेंद्र सिंह ने हृदय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी

देहरादून। भारत की आबादी में हृदय रोगों की घटनाओं में वृद्धि होती जा रही है। डॉ योगेंद्र सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर-इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने भारत में हृदय रोगियों से हृदय देखभाल के लिए उपलब्ध नवीनतम उपचारों और प्रक्रियाओं के बारे में बेहतर जागरूक होने का आग्रह किया है। हृदय रोगियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि यदि उनमें ऐसा हृदय संबंधी विकार है, जिसकी निगरानी की आवश्यकता है और हृदयाघात के किसी भी लक्षण के मामले में, तो उन्हें उचित निदान और उपचार के लिए तुरंत किसी चिकित्सालय से संपर्क करना चाहिए। यदि ऐसे विकार में स्टेंटिंग व एंजियोप्लास्टी या बाईपास शल्यक्रिया की आवश्यकता हो, तो रोगियों को अपने हृदय और उनके जीवन को बचाने के लिए सर्वाेत्तम संभव समाधान तलाशने में देरी नहीं करनी चाहिए। कई मामलों में, हृदयरोगियों को चिकित्सालय जाने में देर करना घातक हो सकता है।
चिकित्सा प्रौद्योगिकियां निरन्तर प्रगति कर रही हैं और शल्यक्रिया विशेषज्ञ अब ऐसी हृदय संबंधी कार्यविधियों की सलाह देते हैं जो कम चीर-फाड़ और दर्द देने वाली हों और हृदय संबंधी घटनाओं के पुनः होने की संभावना को कम करें। उपचार में देर करने की हानिकारक प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए, डॉ सिंह कहते हैं कि, हृदय रोगियों को अपनी हृदय संबंधी कार्यविधियों की उपेक्षा या उनमें देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह घातक साबित हो सकता है। कई मामलों में, रोगी गंभीर जटिलताओं का शिकार हो जाते हैंय जैसे कि रक्त के थक्के या थ्रोम्बस का बनना, जिससे कोरोनरी धमनियों में 100 प्रतिशत अवरोध हो सकता है। चिकित्सा प्रौद्योगिकियां निरन्तर प्रगति कर रही हैं और शल्यक्रिया विशेषज्ञ अब ऐसी हृदय संबंधी कार्यविधियों की सलाह देते हैं जो कम चीर-फाड़ और दर्द देनेवाली हों और हृदय संबंधी घटनाओं के पुनः होने की संभावना को कम करें। हृदय में धमनी में अवरोध के उपचार के लिए प्रौद्योगिकी में नई प्रगति के साथ, ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, जिसपर पूरे देश में रोगियों के व्यापक प्रमाण में भली-भॉंति अध्ययन किया गया है और उसमें रोगियों का विशाल नैदानिक डेटा है। नवीनतम पीढ़ी के प्लेटिनम क्रोमियम स्टेंट पीसीआई परिणामों को अनुकूलित करने और रोगियों के लिए बेहतर परिणाम प्रदान करने में सहायत करते हैं। डॉ सिंह कहते हैं हृदय संबंधी लक्षणों को अनदेखा करना या शल्यक्रिया के डर से उपचार में देर करना और जटिलताओं को जन्म ही देगा । इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में, यह हितावह है कि रोगी को सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई या दिल की धड़कन की गति में वृद्धि होने पर तत्काल कार्रवाई करें और जल्द से जल्द चिकित्सालय जायें। हर समय जागरूक और सतर्क रहना अति आवश्यक है। अपने मन में भय को स्थान न दें और अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए समय पर चिकित्सकीय सहायता लें। भारत में वर्तमान में उपलब्ध प्रगतिशील तकनीक और चिकित्सा उपकरण हृदय रोगियों के लिए वरदान हैं और ज्यादातर मामलों में घातक परिणामों को कम करने में मदद करते हैं। वर्तमान समय में, चिकित्सा ने इतनी प्रगति की है कि अचानक खतरनाक हृदय से संबंधित घटना से होने वाली मौतों को रोकना संभव हो गया है। रोगियों को उनके लिए उपलब्ध ऐसे अत्यधिक परिष्कृत और उच्च प्रदर्शन करने वाले उपकरणों के बारे में पता होना चाहिए और उनके लक्षणों में अधिक खराब होने और उनके हृदय के स्वास्थ्य को और खराब होने से बचाने के लिए समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप की तलाश करनी चाहिए।

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