अब आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथिक दवाइयां लिख पाएंगे

जीएमवीएन के होटलों में पंचकर्म और योग केंद्र की स्थापना की जाएगी

देहरादून। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने घोषणा की कि सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में इमरजेंसी के समय आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगे। आयुष मंत्री की इस घोषणा के बाद अब आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथिक दवाइयां लिख पाएंगे। ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल समेत चारधाम यात्रा रूटों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड (जीएमवीएन) के होटलों में पंचकर्म और योग केंद्र की स्थापना की जाएगी।
आयुष मंत्री हरक सिंह ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए आदेशों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में योग के डिप्लोमा पाठ्यक्रम डिग्री कोर्स को मंजूरी प्रदान की गई है। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में योग और अन्य कार्यक्रमों के लिए ऑडिटोरियम की घोषणा की गई। कोटद्वार के चरक डांडा में अंतरराष्ट्रीय आयुवेर्दिक शोध संस्थान के लिए आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के डेवलपमेंट फंड से दस करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रदेश के जिला मुख्यालयों में 25 बेड और तहसील लेवल पर 15 बेड के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल खोलने की घोषणा की गई। दूरदराज के क्षेत्रों में सौ योग और वैलनेस सेंटर बनाने की घोषणा, पहले चरण में 50 वैलनेस सेंटर बनाए जाएंगे। गुरुकुल कांगड़ी में देश का पहला आयुर्वेदिक कैंसर संस्थान खोलने की घोषणा की गई।
केरल में पंचकर्म की तर्ज पर उत्तराखंड में मर्म चिकित्सा को चिकित्सा पद्धति के रूप में सरकार आगे बढ़ाएगी।

आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवा लिखने के राज्य सरकार के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) उत्तराखंड ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। एसोसिएशन ने कहा कि इस फैसले से मरीजों को भी नुकसान होगा। आईएमए उत्तराखंड के सचिव डा. अजय खन्ना ने कहा कि पहले भी इस तरह की बात चली थी। करीब एक महीने पहले उन्होंने इसे लेकर मुख्य सचिव को पत्र भी भेजा था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, नेशनल मेडिकल कमीशन समेत कई अन्य स्तरों से यह स्पष्ट आदेश है कि किसी भी मरीज पर मिक्सोपैथी (दो पैथियों को मिलाकर उपचार) का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। स्पष्ट गाइडलाइन है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक प्रैक्टिस नहीं कर सकता। हम शासनादेश होने का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मिक्सोपैथी से मरीजों को भी नुकसान होगा। जिन आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने कभी एलोपैथ की पढ़ाई नहीं की, वो दवा कैसे लिख सकते हैं। सरकार सिर्फ ये दिखाने के लिए कि हमने डॉक्टर उपलब्ध करा दिए हैं इस तरह के फैसले ले रही है। आयुर्वेदिक डॉक्टर को क्या पता कि एलोपैथ दवा कैसे दी जानी है। इमरजेंसी में एलोपैथ दवा देंगे तो मरीजों की जान पर बन आएगी। सरकार को मरीजों की जान से नहीं खेलना चाहिए। आयुष मंत्री हरक सिंह ने हर्रावाला स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज में योगाभ्यास के बाद घोषणा की कि सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में इमरजेंसी के समय आयुष डॉक्टर एलोपैथिक दवा लिख सकेंगे। साथ ही आयुष मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए आदेशों की जानकारी दी। आयुष मंत्री की इस घोषणा के बाद अब एलोपैथिक डॉक्टरों में रोष पनपने लगा है।

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