अनुसूचित जाति एसोसिएशन जनजाति शिक्षक एसोसिएशन की ओर से खुला पत्र जनप्रतिनिधि दें जबाव।
देहरादून : आज दिनांक 10 मई 2020 को प्रांतीय अध्यक्ष संजय भाटिया एवं प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया द्वारा एससी एसटी सांसद, विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष , वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष , ब्लाक प्रमुख , पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को इस आशय से खुला पत्र प्रेषित किया गया ।
प्रदेश में 9 नवंबर 2000 के बाद कितने अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति पिछड़ी जाति एवं सफाई कर्मचारियों को सरकार द्वारा नियुक्ति प्रदान की गई है, इसी के साथ-साथ कितने लोगों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, पदोन्नति की गई है, यह सभी साथ ही यह भी निवेदन किया गया है की प्रदेश में किस प्रकार से इस वर्ग के साथ सामाजिक भेदभाव किया जा रहा है , जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, उसके कितने उदाहरण अक्सर सामने आते रहते है ।
इसी के साथ साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत में कितने ऐसे लोग हैं, धनाढ्य परिवार हैं, कारपोरेट घराने हैं, पूंजीपति हैं जो भारत को या भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में सक्षम है, ना तो रोटी बेटी का रिश्ता है ना जातिवाद समाप्त हुआ है, न ही जातिवाद को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है, जब इतनी सारी समस्याएं इस वर्ग के साथ आज भी मौजूद है तो क्यों इस वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है ? विचारणीय बिंदु – अभी हाल ही में क्रीमी लेयर की बात हुई – भारत के महामहिम राष्ट्रपति को भी जब उनका चुनाव हुआ था, उन्हें दलित राष्ट्रपति कहा गया।
कोई भी जनप्रतिनिधि ऐसा नहीं है जो अनारक्षित सीट पर जीत कर आए या कोई पार्टी ऐसी नहीं है जो अनारक्षित सीट पर आरक्षित श्रेणी के व्यक्ति को टिकट दे, बहुत सारी समस्याएं जाति के आधार पर ही विद्यमान हैं, तो जातिगत आरक्षण का ही विरोध क्यों हो रहा है ? अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड के द्वारा सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की गई है कि महामहिम राज्यपाल , महामहिम राष्ट्रपति , राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन तक इन बातों को उठाया जाना चाहिए कि भारत में किस प्रकार से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के साथ भेदभाव हो रहा है ।
यह भारत के संविधान के साथ छेड़छाड़ हो रही है और संविधान में प्रदत्त जो प्रतिनिधित्व (आरक्षण) की व्यवस्था है, उसको समाप्त किए जाने का प्रयास धीरे-धीरे किया जा रहा है एसोसिएशन इसकी निंदा करती करती है और जन प्रतिनिधियों से अपेक्षित कार्रवाई के लिए निवेदन करती है।