राज्य के ज्वलन्त मुद्दों के समाधान हेतु एक दिवसीय उपवास ।

उत्तराखंड : राज्य को अपने अस्तित्व में आये 20 वर्ष हो चुके है। लेकिन राज्य की अवधारणा व जनाकांक्षा धरी की धरी रह गयी है। उक्रांद राज्य के जनमुद्दों को लेकर निरन्तर संघर्षरत है। राज्य के युवाओं के भविष्य, सविंदा कर्मियों के नियमितीकरण, राज्य कर्मचारियों का उत्पीड़न का सवाल, मूलनिवास आदि मुद्दो को लेकर आपकी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करता है। राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। संशाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा है। राज्य की बड़ी परियोजनाएं बाहरी कम्पनियों के हवाले कर दिया गया है।भू-कानून का अस्तित्व खत्म कर राज्य की जमीनों को बेचने का राश्ता साफ कर दिया है। राज्य के पर्वतीय जनपदों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। राज्य की शिक्षा,चिकित्सा का बुरा हाल है। कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम में राज्य सरकार असफल रही है। राज्य का हर वर्ग त्रस्त है। युवाओं का भविष्य अंधकारमय है। नौकरियों पर पाबंदी लगाकर सरकार ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कोरोना काल के दौरान होटलियर,कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों की रोजी रोटी छीन चुकी है। प्रवासियों के लिये रोजगार देने के लिये सरकार मात्र प्रचार प्रसार तक सीमित है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना केवल कागजो तक सीमित रह गयी है। राज्य की सरकार अपने संसाधनों से आय का स्रोत बनाने में कोई कार्य योजना नही है। राज्य को कर्जे में डुबो कर रख दिया। सरकार अपने फिजूलखर्ची पर कोई लगाम नही लगा रही है। खुले बाजार या फिर बैंकों से ऋण लेकर कर्मचारियों का वेतन दिया जा रहा है। *ऋणम कृत्वा घृणतम पिवेत* चरितार्थ हो रहा है। उक्रांद आज धरने और एक दिवसीय उपवास के माध्यम से मांग करता है कि:-
1:-सरकार द्वारा प्रवासियों के लिये रोजगार के लिये मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को शत प्रतिशत लागू करें।
2:- मूलनिवास प्रदेश की आत्मा है सरकार से माँग करते है कि मूलनिवास को स्पष्ट करते हुए पुनः लागू किया जाय।
3:- उपनल व अन्य एजेंसियों के तहत वर्षो से सेवा देने वाले कर्मचारियों को अविलम्ब नियमित किया जाय।तथा उपनल व पी०आर०डी० के तहत भर्ती के लिये मूलनिवास की बाध्यता लागू किया जाय।उत्तराखंड के उद्योगों में मध्यप्रदेश और हरियाणा की तर्ज पर 80 प्रतिशत मूलनिवासियों के किया आरक्षण मिले।
4:- कोविड-19 संक्रमण काल से प्रभावित होटेलियर के लिये पैकेज की व्यवस्था किया जाय,साथ ही व्यवसायिक वाहनों का टैक्स व इंसोरेंस 6 माह की लिये माफ किया जाय। जिन उत्तराखंडी नौजवानों के रोजगार कोरोना संक्रमण के दौरान छीन गया है सभी को उपनल व पी आर डी के तहत रोजगार दिया जाय।
5:-कोविड-19 संक्रमण के दौरान आशा कार्यक्रतियो द्वारा स्वास्थ्य के क्षैत्र में सराहनीय कार्य किया, लेकिन सरकार द्वारा उनके कार्य के अनुरूप मानदेय दिया जाता।
उक्रांद माँग करता है कि आशा कार्यक्रतियों के मानदेय अविलम्ब सरकार तय करके निर्गत आदेश करे।
5:-पर्वतीय क्षेत्रों में जिला विकास प्राधिकरण की बाध्यता को खत्म किया जाय। राज्य में बाहरी व्यक्ति कोई जमीन की खरीद फरोख्त न कर सके इसलिये सरकार धारा 371 अविलम्ब लागू करें।
6:-सरकार द्वारा घोषित सरकारी रिक्त पदों की भर्तियां अविलम्ब की जाय।
7:- श्राइन बोर्ड व देवस्थानम के तहत सरकार स्थानीय पंडो के हकों के साथ कोई छेड़छाड़ न करे। पुरानी स्थानीय परमपराओं को बरकार रखा जाय।
उपरोक्त मांगो को सरकार गंभीरता के साथ संज्ञान लेते हुए सकारात्मक कदम उठाये अन्यथा दल कड़ा कदम उठाने के लिये बाध्य होगा।
*उत्तराखंड क्रान्ति दल के समस्त जिलों के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षो को बहाल करते हुये, सभी जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष अपने इकाइयों का गठन ब्लॉक व वार्ड स्तर से बनाएंगे। साथ ही सघन सदस्यता अभियान चलायेंगे*।
उपवास में सर्व श्री दिवाकर भट्ट केंद्रीय अध्यक्ष,श्री त्रिवेंद्र सिंह पंवार संरक्षक,श्री ए पी जुयाल, लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय,बहादुर सिंह रावत,जयदीप भट्ट,रेखा मिंया,प्रताप कुँवर,महेंद्र रावत,शांति भट्ट,प्रह्लाद सिंह रावत,अशोक नेगी,विजय बौड़ाई,देवेंद्र कंडवाल,देवेंद्र चमोली,प्रमिला रावत,समीर मुंडेपी,राजेंद्र बिष्ट,सुभाष पुरोहित,विजेंदर रावत,राजेश्वरी रावत,
नवीन भदुला,नवीन वर्मा,किरण रावत कश्यप,पीयूष सक्सेना,सन्नी भट्ट,मोहित डोभाल,आशीष भट्ट,अज्जू पंवार,गोपाल उनियाल,अमित डोगरा,सुमित रमोला,दीपक रावत,सीमा रावत,दीपक गौनियल,कमल राणा,कमल कांत,हिम्मत नेगी,नरेश गोदियाल,सोमेश बुडाकोटी, पंकज पैन्यूली,गणेश काला, राजेन्द्र नेगी आदि थे।

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