मायावती ने दिल्ली में हुई हिंसा की न्यायिक जांच एवं आर्थिक मदद के लिए राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन l
नई दिल्ली : बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजते हुए कहा कि दिल्ली में हुई शर्मनाक घटना की न्यायिक जांच हो, जैसाकि आप अवगत है कि देश की राजधानी है, सन् 1984 में हुये भीषण सिक्ख दंगे की तरह ही , एक बार फिर से यह घातक दंगे से दिल दहल गया है, इसमें जान – माल की जबर्दस्त हानि हुई है, जो पूरे देश के लिए अति – गम्भीर अति – दुःखद व अति – चिन्ता की बात है, इसने देश व दुनिया का ध्यान खींचा है व विचलित किया है तथा लगातार निगेटिव चर्चा का विषय बना हआ है ।
वैसे तो ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी व इनकी केन्द्र सरकार की विशेष ज़िम्मेदारी बनती है कि वह ना तो खुद ऐसा कोई काम करे जिससे देश की प्रतिष्ठा पर कोई आँच आए और ना ही अपनी पार्टी के लोगों को ऐसा कोई गलत काम व उग्र बयानबाज़ी आदि करना सहन करे जिससे हिंसा व अराजकता आदि फैले एवं लोगों के जान – माल की हानि का कारण बने और अन्तर्राष्ट्रीय हेडलाइन्स बनकर देश की बदनामी हो ।
लेकिन पूरे देश ने देखा व महसूस भी किया कि बीजेपी व इनकी सरकार अपनी कानूनी व संवैधानिक ज़िम्मेदारी को निभाने में काफी हद तक विफल ही रही है , जिसके फलस्वरूप दिल्ली में अब तक करीब तीन दर्जन लोगों की जानें चली गई , करीब 200 लोग घायल हुए और इस जबर्दस्त महंगाई , गरीबी व बेरोज़गारी के दौर में लाखों कारोबार ध्वस्त हो गए है, जिनमें ज्यादातर मेहनतकश निम्नवर्गीय लोग थे ।
इस प्रकार दिल्ली के दंगों के पीछे पुलिस व प्रशासन की कोताही / लापरवाह / विफलता जग – जाहिर है , लेकिन इंसाफ का तकाज़ा व सुशासन / प्रशासन की माँग है कि दिल्ली के दामन पर सिख दंगों की तरह लगे बदनुमा धब्बे को थोड़ा धोने के लिए इन घटनाओं की उच्चस्तरीय न्यायिक जाँच हो , जो वास्तव में माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में होनी चाहिए ताकि जाँच के कुछ सही मायने निकल सके व लोगों को हमेशा की तरह यह केवल लीपापोती व खानापूर्ति मात्र नहीं लगे ।
मायावती ने कहा कि आपको चिट्ठी लिखने का एक खास मकसद यह भी है कि दिल्ली दंगों में जिन भी लोगों का जानी – माली नुकसान हआ है तथा जो लोग घायल हुए है, उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए आप केन्द्र व दिल्ली सरकार को निर्देशित करें ताकि यहाँ दंगों में पीड़ित व प्रभावित लोगों को दिन – प्रतिदिन की ज़िन्दगी की जरूरतों के लिए दर – दर भटकने की बुरी नौबत से बचाया जा सके ।