गैर मान्यता प्राप्त संगठनों की बात न सुनना मूल अधिकारों का हनन : एसोसिएशन।

देहरादून : शिक्षा विभाग में जारी गैर मान्यता प्राप्त संगठनों के पत्रों पर कार्यवाही ना करने के विषय पर जारी आदेश को निरस्त करवाने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड के प्रांतीय अध्यक्ष संजय भाटिया एवं प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया ने शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर चर्चा परिचर्चा के पश्चात देश और प्रदेश के प्रतिनिधियों को ज्ञापन प्रेषित कर दिए हैं ।

एसोसिएशन के द्वारा भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, समाज कल्याण मंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग के साथ ही प्रदेश की राज्यपाल, मुख्यमंत्री, समाज कल्याण मंत्री, विद्यालयी शिक्षा मंत्री, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), अध्यक्ष उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग, अध्यक्ष उत्तराखंड अनुसूचित जनजाति आयोग, अध्यक्ष उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग एवं प्रदेश के सभी विधायकों को पत्र प्रेषित किए गए हैं, जो विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में निवास कर रहे शिक्षकों के द्वारा उन तक पहुंचाए जा रहे हैं।

उन्होंने अवगत कराया है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा विद्यालयी शिक्षा विभाग में एक तुगलकी फरमान जारी किया है कि विभाग द्वारा किसी भी गैर मान्यता प्राप्त संगठन के पत्र पर विचार व कार्रवाई नहीं की जाएगी और न ही उनके साथ कोई वार्ता या बैठक की जाएगी। एसोसिएशन का कहना है कि यह एक तानाशाही पूर्ण आदेश है। जबकि सरकार हर मुद्दे के लिए जवाब देह है। प्रत्येक सरकार कहती है कि वह समाज में खड़े हर अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए, उसकी सुरक्षा के लिए, उसे न्याय प्रदान करने के लिए, उत्तरदाई है। अब यह देखा जाना कि संगठन मान्यता प्राप्त है या नहीं महत्वपूर्ण है ? अथवा वास्तविक समस्या देखी जाएगी ? यह सवाल आज सभी के सामने है ? हर व्यक्ति , हर एक समूह, हर एक संगठन का प्रजातंत्र में मूल अधिकार है कि वह अपनी आवाज़ उठाएं और सरकार उस पर कार्रवाई के लिए जवाब दे ।

आखिर अब हमारी समस्या कौन सुनेगा ? जबकि लोकतंत्र में हर किसी व्यक्ति अथवा समूह को संगठन बनाने का अधिकार भारत का संविधान देता है। यह आदेश भारतीय संविधान के गला घोटने जैसा है। शीघ्र ही इस विषय पर ऑनलाइन बैठक आयोजित कर विरोध एवं धरना प्रदर्शन व आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *