एक वर्ष से अधिक समय से पैसे न मिलने के कारण, नेफ्रोप्लस, पीपीपी मॉडल के अंतर्गत बीपीएल मरीजों को दी जा रही सेवायें बंद करेगी l
देहरादून : भारत के सबसे बड़े डायलिसिस केयर नेटवर्क और भारत में डायलिसिस केयर को पुनर्परिभाषित करने में अग्रणी नेफ्रोप्लस द्वारा फरवरी 2017 से ही पीपीपी मॉडल के अंतर्गत कोरोनेशन हॉस्पिटल, देहरादून एवं बेस हॉस्पिटल, हल्द्वानी में बीपीएल मरीजों (गेस्ट्स) को डायलिसिस उपलब्ध कराई जा रही है। इसे अपनी सर्विस के लिये दिसंबर 2017 तक नियमित तौर पर भुगतान मिल रहा था, लेकिन जनवरी 2018 के बाद अब तक के बिलों को कोई वैध कारण बताये बगैर रोक दिया गया है। हमने जब इस बारे में डीजी, एमएचएंडएफड्ब्ल्यू से बात की, तो हमे बताया गया कि यह विभाग का आंतरिक आदेश है। बीपीएल मरीजों से संबंधित भुगतान को एमडी-एनएचएम से अधिकृत करवाने की जरूरत होती है और डीजी ने हमें बताया कि इस भुगतान से संबंधित फाइल को उनके ऑफिस द्वारा स्वीकृत कर दिया है, लेकिन उन्हें एमडी-एनएचएम द्वारा भुगतान जारी करने का कोई ऑर्डर नहीं मिला है। एमडी-एनएचएम हमारे अनुबंध में कोई पक्ष नहीं है और यह एनएचएम एवं एमएचएंडएफडब्लू के बीच का आंतरिक मामला है। इसके बावजूद, हमने कई बार एमडी-एनएचएम से संपर्क किया और विभिन्न कारणों की वजह से हमें डीजी के पास लौटा दिया गया। एक बार, हमें एमडी-एनएचएम द्वारा बताया गया कि नेफ्राप्लस की ओर से कोई चूक नहीं हुई है, हालांकि, एनएचएम ऑफिस द्वारा संचालित 3 अलग-अलग ऑडिट्स में यही चिंता जताई गई है कि ” हमारे बिलों से बीपीएल संख्यायें गायब हैं” और कोई असंगति नहीं पाई गई है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे सेंटर पर कई मरीज विभिन्न अधिकारियों से संदर्भ पत्र लेकर आते हैं और केवल सीएमएस द्वारा इसके स्वीकृत होने के बाद ही मरीजों का डायलिसिस किया जाता है।
श्री सुकरण सिंह सलुजा-वाइस प्रेसिडेंट, ऑपरेशन्स, नेफ्रोप्लस ने कहा, ”नेफ्रोप्लस का मूल मूल्य है ‘अतिथि सर्वोपरी हैं’ और डॉक्यूमेंट से संबंधित कारणों की वजह से किसी भी मरीज को यह जरूरी उपचार उपलब्ध कराने से इनकार नहीं किया जाता है, जो अनुबंध के अनुसार हमारा दायरा भी नहीं है। हमारी सेवाओं के लिये बिलों को क्लीयर करने के पहले कई स्तरों पर जांचा-परखा जाता है। यह तकलीफदेह है कि इस तरह की जरूरी सेवाओं की आपूर्ति करने वाले एक वेंडर को बिना किसी गलती के इस तरह से वित्तीय परेशानियों से होकर गुजरना पड़ रहा है।”
नेफ्रोप्लस इन दोनों सेंटर्स पर अपने बकायों का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से अत्यधिक आर्थिक तंगी से गुजर रही है। यही कारण है कि नेफ्रोप्लस को यह सख्त फैसला लेना पड़ रहा है कि यदि इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने तक इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो उसे बीपीएल मरीजों को अपनी सेवायें बंद करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा। नेफ्रोप्लस का मूल मूल्य है ‘अतिथि सर्वोपरी’, लेकिन ऐसी स्थिति में कंज्यूमेरेबल्स और सर्विसेज उपलब्ध कराने वाले अपने आपूर्तिकताओं एवं कर्मचारियों को भुगतान करना असंभव हो गया है। इस बारे में डीजी और एनएचएम ऑफिस को कई बार खत लिखकर बताया गया है, लेकिन उनकी ओर से हमें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। हमने अब पीएमओ और माननीय स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार को भी खत लिखकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। इस मामले पर उत्तराखंड सरकार द्वारा किसी भी स्तर पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
नेफ्रोप्लस अधिकारियों से यह भी अनुरोध करती है कि वह इस बात का संज्ञान लें कि वर्ष 2018 से अब तक हमने कुल 76870 सत्रों के साथ जितने भी लोगों का उपचार किया है, उनमें लगभग 1000 बेहद संतुष्ट अतिथि/मरीज शामिल हैं। हमारे सेवाओं की क्वालिटी को पसंद करने वाले बीपीएल मेहमानों द्वारा जमा कराये गये पत्र नेफ्रोप्लस के स्टैंडर्ड और क्वालिटी का प्रमाण हैं, जिसे परेशानियों के बावजूद कंपनी ने बरकरार रखा है। इसके साथ ही इसके 66 बेहद प्रतिबद्ध कर्मचारी भी हैं, जिन पर अपनी आजीविका को खो देने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि नेफ्रोप्लस अब वेतन खर्चों को वहन कर पाने में असक्षम है।
नेफ्रोप्लस ने एक बार फिर उत्तरखंड सरकार से तनिक भी देरी किये बिना इस मुद्दे का समाधान करने के लिये अनुरोध किया है, जिससे इस जीवन रक्षक उपचार को प्राप्त कर रहे बीपीएल कार्डधारक मरीजों को किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से बचाया जा सकेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुये हमने डीजी एमएच एवं एफड्ब्ल्यू के ऑफिस से लिखित जवाब का इंतजार करते हुये सेवा को बंद करने की तारीख 31 मार्च 2019 तक टालने का फैसला किया है।