आस्था का बड़ा केन्द्र है पीर बाबा शेख जलालूद्दीन की मजार।
आस्था का बड़ा केन्द्र है पीर बाबा शेख जलालूद्दीन की मजार।
जनपद बागपत के बागपत कोपरेटिव शुगर मिल परिसर स्थित इस मजार की होती है प्रसिद्ध मजारो में गिनती।
पीर बाबा को धार्मिक, आध्यात्मिक व औषधियों के ज्ञान तथा नेक कार्यो ने बनाया महान।
बागपत : रिपोर्टर विवेक जैन।
सैंकड़ो वर्षो से जनपद बागपत के बागपत कोपरेटिव शुगर मिल परिसर स्थित शेख जलालूद्दीन बाबा की मजार आस्था का एक बड़ा केन्द्र है। इनको सैय्यद जलाल, जलाल सा और शुगर मिल वाले पीर बाबा के नाम से भी जाना जाता है। इन बाबा की ऐसी महिमा है कि जो भी भक्त इनके दरबार में श्रद्धाभाव के साथ आता है, उसकी हर पीड़ा और कष्ट को बाबा हर लेते है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते है। जिन पर बाबा की कृपा दृष्टि हो जाती है उसके वारे-न्यारे हो जाते है। नेक काम करने वालों पर बाबा की विशेष कृपा दृष्टि रहती है।
वर्तमान में जहाँ पर बाबा की मजार है, वहां पर प्राचीन काल में घना जंगल था। बाबा को धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ जड़ी-बूटियों के ज्ञान में महारथ हासिल थी। उनहें आलौकिक शक्तियां प्राप्त थी। देश के दूर-दराज क्षेत्रों से लोग ज्ञान प्राप्त करने और कष्टो से छुटकारा पाने के लिये बाबा के दरबार में आया करते थे। उनके जाने के बाद भक्तों द्वारा उनकी कब्र को मजार बना दिया गया। बताते है कि यह मजार अद्भुत शक्तियों से सम्पन्न हैं। प्राचीन काल में इस मजार पर बड़े-बड़े उर्स अर्थात मेले लगा करते थे और वह कई-कई दिनों तक चलते थे। इनकी शान में कई साहित्य और गीत लिखे गये थे। दूर-दूर के कव्वाल इनकी महिमा को कव्वाली रूप में गाकर लोगों तक पहुॅचाते थे। समय बदला और जिस स्थान पर मजार है इस मजार को बागपत कोआॅपरेटिव शुगर मिल के परिसर में ले लिया गया। बाबा से जुड़े प्राचीन साहित्य समय के साथ-साथ विलुप्त हो गये। बाबा के बारे में बताया जाता है कि शुगर मिल का निर्माण लाख कोशिश करने के बाबजूद किसी ना किसी विपत्ति के चलते पूरा नही हो पा रहा था। जब मिल अधिकारियों ने बाबा के दरबार में हाजरी लगाकर उनको चादर चढ़ाई, उसके बाद ही मिल निर्माण का कार्य पूरा हो सका। आलौकिक शक्तियों के लिये विख्यात इस मजार पर ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के भेदभाव भुलाकर हर धर्म-सम्प्रदाय के लोग बाबा के दरबार में हाजरी लगाने के लिये आते है।